एल्डरमैन को नियुक्त करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट से केजरीवाल सरकार को बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने एमसीडी यानी दिल्ली नगर निगम में 10 ‘एल्डरमैन’ को मनोनीत करने के एलजी के फैसले पर मुहर लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल स्वतंत्र रूप से एमसीडी में 10 एल्डरमैन को नामित कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें दिल्ली सरकार के मंत्रीपरिषद की सलाह की जरूरत नहीं है.
एल्डरमैन के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने आप सरकार को झटका देते हुए कहा, ‘दिल्ली नगर निगम में 10 ‘एल्डरमैन’ को मनोनीत करने के लिए उपराज्यपाल स्वतंत्र हैं.’ चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि दिल्ली नगर निगम (MCD) में एल्डरमैन की नियुक्ति के मामले में एलजी को दिल्ली सरकार की सलाह की जरूरत नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एमसीडी में सदस्यों को मनोनीत करने की उपराज्यपाल की शक्ति एक वैधानिक शक्ति है, ना कि कार्यकारी शक्ति. सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि 1993 एक्ट ने एलजी को यह अधिकार दिया है कि वह बिना दिल्ली सरकार की सलाह के एल्डरमैन की नियुक्ति कर सकता है.
इस तरह दिल्ली सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तकरीबन 15 महीने बाद अपना फैसला सुनाया. बता दें कि पिछले साल 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एलजी को एमसीडी में एल्डरमैन को मनोनीत करने का अधिकार देने का मतलब होगा कि वो एक चुनी हुई नागरिक संस्था को अस्थिर कर सकते हैं.
बता दें कि एमसीडी में 250 निर्वाचित और 10 मनोनीत सदस्य होते हैं. दिसंबर 2022 में हुए MCD चुनावों में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को हराकर 15 साल पुराना शासन खत्म कर दिया था. आम आदमी पार्टी ने जहां 134 सीटें जीती थीं, वहीं बीजेपी को 104 और कांग्रेस को 9 सीटों पर जीत मिली थी.