सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मणिपुर में जातीय संघर्ष के दौरान महिलाओं के खिलाफ हिंसा की जांच और राहत कार्यों के लिए गठित न्यायमूर्ति गीता मित्तल समिति की अवधि 31 जुलाई तक बढ़ा दी। यह समिति जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गीता मित्तल की अध्यक्षता में कार्यरत है, जिसमें बॉम्बे उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति शालिनी फांसलकर जोशी और दिल्ली उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायमूर्ति आशा मेनन शामिल हैं।
समिति को मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हिंसा से संबंधित जानकारी एकत्रित करने, राहत शिविरों की स्थिति की निगरानी करने और पीड़ितों को मुआवजा प्रदान करने का कार्य सौंपा गया है। इसके अलावा, समिति को राज्य सरकार को निर्देश जारी करने का अधिकार भी दिया गया है ताकि हिंसा से प्रभावित व्यक्तियों की संपत्ति के नुकसान का उचित मुआवजा सुनिश्चित किया जा सके।
समिति को सुप्रीम कोर्ट में प्रतिवेदन सीधे प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और तत्परता सुनिश्चित हो सके। यह कदम मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की गंभीरता को देखते हुए उठाया गया है, जिससे न्यायिक प्रणाली में समुदाय का विश्वास बहाल किया जा सके और कानून का शासन स्थापित किया जा सके।