कट्टरवाद पूरे दुनिया के लिए शांति की राह में बहुत बड़ा नासूर बना हुआ है । आज दुनिया के कई देश आतंकवाद, कट्टरवाद और उग्रवाद से प्रभावित हैं । पाकिस्तान में मुस्लिम कट्टरवाद हमेशा भारत के लिए सिरदर्द साबित होता रहा है । पाक के आतंकवादी संगठन समय-समय पर भारत को डिस्टर्ब करते रहे हैं। हालांकि भारत भी कुछ वर्षों से इनको मुंहतोड़ जवाब दे रहा है ।
लेकिन आज बात करेंगे बांग्लादेश की । यहां भी मुस्लिम कट्टरपंथियों की जड़ें बहुत गहरी हो चुकी हैं । इस देश ने पिछले दिनों अपनी आजादी के 50 वर्ष पूरे किए हैं । 26 मार्च 1971 को यह देश पाकिस्तान से आजाद हुआ था । बांग्लादेश को स्वतंत्र कराने में भारत का महत्वपूर्ण योगदान था । अपनी जश्न-ए-आजादी मनाने के लिए बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विशेष मेहमान बनाया था।
लेकिन पीएम मोदी का बांग्लादेश जाना वहां के कट्टरपंथियों को नागवार गुजरा। प्रधानमंत्री अपने 26, 27 मार्च 2 दिन के दौरे पर जब बांग्लादेश गए थे तब कई मुस्लिम संगठनों ने सड़क पर आकर विरोध प्रदर्शन और हिंसा की । इस हिंसा में कई लोगों की जानें भी चली गईं । विरोध करने वाले कट्टरपंथी मुस्लिम प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि मोदी अल्पसंख्यक मुस्लिमों से भेदभाव करते रहे हैं।
कट्टरपंथियों का कहना है कि बांग्लादेश सरकार को उनके जन्मशती समारोह में प्रधानमंत्री मोदी को नहीं बुलाना चाहिए था। खुफिया एजेंसियों ने दावा किया है कि बांग्लादेश में हुई हिंसा के पीछे गहरी साजिश रची गई थी । इसके पीछे प्रतिबंधित संगठन ‘जमात-ए-इस्लामी’ का हाथ था। रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस, मीडिया और सरकारी ऑफिसों पर बड़े पैमाने पर हमले की तैयारी की गई थी।
जमात-ए-इस्लामी ने इसके लिए भारी मात्रा में पैसे बांटे थे, ताकि मोदी की यात्रा के दौरान लॉ एंड ऑर्डर का मुद्दा बनाकर शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार पर सवाल उठाए जा सकें। सुरक्षा जांच एजेंसियों ने कहा कि ये हिंसा जमात, हिफाजत और विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की शेख हसीना सरकार को गिराने की साजिश का हिस्सा थी।
बांग्लादेश में पीएम मोदी का गर्मजोशी के साथ स्वागत कट्टरपंथियों को नागवार गुजरा–
बांग्लादेश के कई मुस्लिम कट्टरपंथी नहीं चाहते कि उनके देश में शांति की बहाली हो । बांग्लादेश में हिंसा फैलाने पर मुस्लिम कट्टरपंथियों का उन्हीं के देश में विरोध भी दिखाई दिया । शेख हसीना सरकार के साथ कई सामाजिक संगठनों ने इस हिंसा की कड़ी आलोचना भी की है।
अधिकांश बांग्लादेश के लोगों ने पीएम मोदी की यात्रा का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया । बता दें कि पिछले कुछ समय से मोदी सरकार कोरोना महामारी को लेकर बांग्लादेश के साथ खड़ी हुई है। शेख हसीना का पीएम मोदी को बांग्लादेश के जन्मशती समारोह में मेहमान बनाना कई मुस्लिम संगठनों को पसंद नहीं आया ।
बांग्लादेश दौरे के खिलाफ प्रदर्शनों में हुई हिंसा पर वहां के गृहमंत्री असदुज्मां खान ने नाराजगी जताई है और कहा है कि कुछ समूह धार्मिक उन्माद फैला रहे हैं और सरकारी संपत्ति और लोगों की जान का नुकसान कर रहे हैं।
बांग्लादेश सिविल-सोसाइटी के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि जिस तरह से ये संगठन विरोध प्रदर्शनों को अंजाम दे रहे हैं, इससे उनके मकसद का पता चलता है और वे देश की शांति और प्रगति में बाधा चाहते हैं। बांग्लादेश खुफिया विभाग द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यापक रूप से रक्तपात और बड़े पैमाने पर हमले की तैयारी की गई थी।
बता दें कि पीएम मोदी शुक्रवार को ढाका पहुंचे थे, जहां उन्होंने बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना को 1.2 मिलियन कोरोना वैक्सीन की डोज सौंपी। भारत सरकार के इस कार्य के लिए बांग्लादेश में खूब सराहना भी की गई ।
पीएम मोदी बांग्लादेश में कई राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भी शामिल हुए थे। उसके बाद पीएम मोदी स्वदेश लौट आए । लेकिन वहां कई जगह हिंसक घटनाएं होती रहीं ।