कोरोना महामारी से हमारा देश पिछले छह महीनों महाजंग लड़ रहा है. दूसरी ओर आस्था भी इस बार भक्तों की शक्ति का इम्तिहान ले रही है. महामारी की वजह से केंद्र और राज्य सरकारों ने मंदिरों-धार्मिक स्थलों में दर्शन करने के लिए बंदिशें लगाई हुई हैं. ऐसे में श्रद्धालु अपने आराध्यों की उपासना करने के लिए उलझन में है. हम आज बात करेंगे कृष्णा जन्माष्टमी पर्व को लेकर. सदियों के बाद कृष्ण जन्मोत्सव मनाने को लेकर कृष्णनगरी मथुरा भी उलझी है. इस बार अष्टमी तिथि को लेकर पूरे देशवासियों में एक राय नहीं बन पाई. कहीं 11 तो कहीं 12 अगस्त को इस बार जन्माष्टमी मनाई जाएगी.
जन्माष्टमी मनाने की एक तिथि को लेकर लाखों-करोड़ों लोग पिछले दिनों से गूगल पर सर्च कर रहे हैं. वहीं कुछ ऐसे भी भक्त हैं जो पंचांग और अपने-अपने पुरोहितों-ज्योतिषियों से जन्माष्टमी तिथि को लेकर पूछ रहे हैं. पंचांग के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास में अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इस बार पंचांग के अनुसार अष्टमी की तिथि 11 अगस्त को प्रात: 9 बजकर 6 मिनट से आरंभ हो रही है. अष्टमी की तिथि 12 अगस्त को प्रात: 11 बजकर 16 मिनट पर समाप्त हो रही है. 11 अगस्त को भरणी और 12 अगस्त को कृतिका नक्षत्र है. इसके बाद रोहिणी नक्षत्र आता है जो 13 अगस्त को रहेगा.
इसीलिए कुछ स्थानों पर इस दिन भी जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है. हालांकि इस बार अष्टमी तिथि 11-12 अगस्त दो दिन तक रहेगी. जगन्नाथ पुरी, बनारस और उज्जैन में कृष्ण जन्माष्टमी 11 अगस्त को मनाई जाएगी, क्योंकि 11 अगस्त से अष्टमी तिथि आरंभ होगी. बता दें कि जन्माष्टमी का पर्व इस बार खास भी है, क्योंकि 27 साल बाद एक बेहद अद्भुत संयोग बन रहा है. 1993 के बाद जन्माष्टमी पर पहली बार बुधाष्टमी और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं. ज्योतिषविद का कहना है कि तुला, मकर और मीन राशि वालों को इससे अधिक लाभ हो सकता है.
कृष्ण जन्मस्थली मथुरा में भी जन्मोत्सव दो दिन मनाया जाएगा
जब आप मथुरा जाएंगे तो आपके कान्हा, श्रीकृष्णा, गोपाल, घनश्याम, बाल मुकुन्द, गोपी मनोहर, श्याम, गोविंद, मुरारी, मुरलीधर, मनमोहन, केशव, श्याम, गोपाल जाने कितने नाम सुनने को मिल जाएंगे. पूरा ब्रज क्षेत्र कृष्ण की भक्ति में लीन रहता है. पूरे देशभर में मथुरा से ही जन्माष्टमी की तिथि बनाने को लेकर इंतजार किया जाता है, लेकिन इस बार मथुरा वासी भी कृष्ण जन्माष्टमी अलग-अलग तिथियों पर मना रहे हैं.
ब्रज सहित उत्तर भारत के हर मंदिर, मठ और देवालय में भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी दो दिन मनाई जा रही है. श्रीकृष्णा के जन्मस्थान मथुरा एवं नंदगांव में अलग-अलग तारीखों पर कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा. तिथियों के आधार पर इस बार जन-जन के आराध्य गोविंद का ये 5247वां जन्मोत्सव होगा. श्रीकृष्ण जन्मस्थान मथुरा में 12 अगस्त को जन्मोत्सव मनाया जाएगा, तो नंदबाबा के गांव नंदगांव में एक दिन पहले 11 अगस्त को मनाएंगे. वैसे मथुरा में अधिकतर स्थानों पर 12 अगस्त को ही जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. इस बार जन्माष्टमी का पर्व बेहद विशेष है, इस दिन वृद्धि योग का निर्माण हो रहा है.
इस बार मथुरा में कृष्ण जन्माष्टमी पर दिखाई नहीं देगी रौनक
सैकड़ों वर्षों से जन्माष्टमी मनाने के लिए देश-विदेश से हजारों की संख्या में भक्तों मथुरा पहुंचते हैं, लेकिन इस बार कोरोना महामारी की वजह से कृष्णाष्टमी पर भक्तों की रौनक दिखाई नहीं देगी. ब्रज के मंदिरों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाए जाने के बावजूद इसे इस बार सार्वजनिक रूप नहीं दिया जाएगा, न ही इस अवसर पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान आदि मंदिरों में भक्तों को विशेष प्रसाद का वितरण किया जाएगा. लोग घरों में खास अंदाज में श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाने की तैयारी कर रहे हैं.
भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव को जहां साधु-संत अपने तरीके मनाते हैं तो आम जनता इसको दूसरी तरह से मनाती है. जगह-जगह पर झांकिया सजाई जाती हैं तो दूसरी ओर महाराष्ट्र में इस दिन दही-हांडी उत्सव मनाया जाता है. जन्मस्थान पर 12 अगस्त को जन्मोत्सव मनाया जाएगा. रात 12 बजे प्राकट्यय दर्शन होंगे और आरती होगी. 12.10 बजे से 12.20 बजे तक जन्म महाभिषेक होगा. इस बार श्रद्धालु कान्हा के जन्मोत्सव के दर्शन नहीं कर पाएंगे.
मंदिरों में केवल प्रबंधन के लोग ही मौजूद रहेंगे. कृष्णा जन्मस्थान से महाभिषेक का टीवी चैनलों के जरिए लाइव प्रसारण होगा. ब्रज के सभी मंदिरों में श्रीकृष्ण उत्सव की तैयारी शुरू हो गई है और मंदिरों को सजाया-संवारा जा रहा है.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार