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मोदी के तीसरी बार पीएम बनने पर पाकिस्तान ने बदले सुर, भारत से लगाई ये गुहार

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नरेंद्र मोदी के रिकॉर्ड तीसरी बार प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद पाकिस्तान ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह भारत सहित सभी पड़ोसियों के साथ ‘सहयोगात्मक संबंध’ और बातचीत के माध्यम से विवादों का समाधान चाहता है. जो कि एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम है. पाकिस्तान के इस बयान के पीछे की मंशा और संभावनाओं पर एक विस्तृत दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया है.

बता दें कि पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता अपनी साप्ताहिक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की ओर से आने वाली कठिनाइयों और बयानबाजी के बावजूद पाकिस्तान जिम्मेदाराना तरीके से काम कर रहा है.

आपको बता दें कि पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने अपनी साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा, ”भारत की ओर से आने वाली कठिनाइयों और बयानबाजी के बावजूद पाकिस्तान जिम्मेदाराना तरीके से काम कर रहा है.” आगे उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान हमेशा से भारत समेत अपने सभी पड़ोसियों के साथ सहयोगात्मक संबंध चाहता रहा है.

बलूच ने कहा, ”हमने जम्मू-कश्मीर जैसे प्रमुख विवाद समेत सभी लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए लगातार रचनात्मक बातचीत और सहभागिता की वकालत की है.”

पाकिस्तान ने भारत सरकार द्वारा पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को निरस्त किये जाने के बाद भारत के साथ अपने संबंधों को कमतर कर दिया था. पाकिस्तान का मानना ​​है कि इस फैसले ने पड़ोसियों के बीच बातचीत के माहौल को कमजोर किया है. बलूच ने कहा, ”पाकिस्तान शांति बनाए रखने में विश्वास करता है. हमें उम्मीद है कि भारत दोनों देशों की जनता के पारस्परिक लाभ के लिए शांति को बनाए रखने और वार्ता को आगे बढ़ाने और लंबे समय से चले आ रहे विवादों के समाधान के लिए अनुकूल वातावरण बनाने को लेकर कदम उठाएगा.”

भारत की प्रतिक्रिया
वहीं भारत लगातार कहता रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसियों जैसे संबंध चाहता है, लेकिन वह इस बात पर जोर देता रहा है कि इस प्रकार के संबंधों के लिए आतंकवाद और शत्रुता से मुक्त वातावरण बनाने की जिम्मेदारी इस्लामाबाद की है. भारत का मानना है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन बंद नहीं करता और शांति की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाता, तब तक रिश्तों में सुधार संभव नहीं है.

शांति की ओर पाकिस्तान का कदम

पाकिस्तान का यह बयान ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं. इस बयान से यह संकेत मिलता है कि पाकिस्तान अपनी विदेश नीति में कुछ बदलाव करना चाहता है. हालांकि, इसके पीछे की मंशा और इसे लागू करने की गंभीरता पर सवाल उठना लाजमी है. दोनों देशों के बीच शांति और सहयोग के लिए कई बाधाएं हैं, जिनमें सबसे प्रमुख है आतंकवाद का मुद्दा.

भविष्य की संभावनाएं

आपको बताते चले कि पाकिस्तान और भारत के बीच शांति और सहयोग की दिशा में किसी भी प्रगति के लिए दोनों देशों को आपसी विश्वास और सहयोग का माहौल बनाना होगा. पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर स्पष्ट और ठोस कदम उठाने होंगे. वहीं भारत को भी बातचीत के लिए एक अनुकूल वातावरण तैयार करना होगा. दोनों देशों के नेताओं को जनता की भलाई के लिए आपसी मुद्दों का समाधान करना होगा.

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