भारत में कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को लेकर पाकिस्तान में भी चर्चा हो रही है. पाकिस्तान किसान आंदोलन को समर्थन देने की आड़ में भारत के खिलाफ अपने प्रोपेगैंडा को बढ़ाने में लगा हुआ है.
पाकिस्तान के विदेश मामलों की संसदीय समिति ने 26 जनवरी को दिल्ली में हुए विरोध-प्रदर्शनों की सराहना की और संघर्षरत सिख किसानों के साथ एकजुटता जाहिर की. समिति ने गुरुवार को हुई बैठक में सरकार से कहा है कि वो भारत की तरफ से हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन के मुद्दे को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की सरकार और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सामने उठाए.
इस्लामाबाद में पार्लियामेंटरी हाउस में हुई समिति की बैठक की अध्यक्षता सांसद मुशैद हुसैन सैय्यद ने की. ये बैठक करीब साढ़े तीन घंटे चली. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी इस बैठक में मौजूद थे. विदेश मामलों की संसदीय समिति ने कहा, ‘पाकिस्तान की सरकार सुनिश्चित करे कि आरएसएस जो भारत सरकार में अतिवाद की जड़ है, उसे हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेनकाब किया जाए.’
समिति ने कहा कि 26 जनवरी मोदी सरकार के अत्याचारों का प्रतिरोध कर रहे लोगों के लिए ‘ब्लैक डे’ था और अब उसे आगे आने वाली घटनाओं का अंदेशा हो जाना चाहिए. समिति ने कहा, ‘नई दिल्ली में लाल किले पर सिख किसानों ने अपना पवित्र झंडा फहराया और उनके प्रतिरोध का जरिया एक पाकिस्तानी गाना है. ये समिति सभी सिख किसानों के साथ है.’
समिति ने कहा, ‘आरएसएस के अतिवाद के हाथों जिन किसानों और अन्य समुदाय के लोगों की जानें गई हैं, उनके परिवारों के प्रति हम अपनी संवेदना जाहिर करते हैं. भारत में साल 2019 में 10,000 से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की और कई मुस्लिमों को उनके धर्म की वजह से निशाना बनाया गया. हम चाहते हैं कि सरकार मानवाधिकार उल्लंघन के इन गंभीर मुद्दों को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद, यूरोपीय संसद, यूरोपीय यूनियन की कोर्ट और अमेरिका की बाइडेन सरकार के सामने उठाए.’
बैठक के अंत में पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी ने एक डोजियर समिति को सौंपा जिसमें भारत पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का फर्जी आरोप लगाया गया. यही नहीं, पाकिस्तान ने खुद को आतंकवाद से पीड़ित देश करार दिया है.
समिति की बैठक में कश्मीर मुद्दे को लेकर भी चर्चा हुई. समिति ने कहा, कश्मीरियों के प्रतिरोध ने दिखा दिया है कि 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार की तरफ से उठाया गया कदम ना केवल पूरी तरह असफल रहा बल्कि कश्मीर के संघर्षरत लोगों ने भी इसे पूरी तरह खारिज कर दिया.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कश्मीर मुद्दे पर अपने एजेंडे को समिति के सामने रखा. कुरैशी ने बताया कि साल के अंत में इस्लामाबाद में इस्लामिक सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों के स्तर की बैठक आयोजित की जाएगी जिसमें जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर चर्चा होगी.
पाकिस्तान इससे पहले भी कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की कोशिश कर चुका है लेकिन उसे हर बार नाकामी ही हाथ लगी. यहां तक कि सऊदी अरब और यूएई भी कश्मीर मुद्दे पर भारत के साथ खड़े हैं.