अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में तैनात बलात्कार के आरोपी वरिष्ठ आईएएस अधिकारी जितेंद्र नारायण को सरकार ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान जारी कर यह जानकारी दी है.
अंडमान निकोबार द्वीप समूह में 21 वर्षीय युवती की ओर से पूर्व मुख्य सचिव सहित विभिन्न अधिकारियों पर गैंगरेप का आरोप लगाए जाने के बाद मामले की पड़ताल विशेष जांच दल (एसआईटी) को सौंपी गई है. आरोप है कि सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा देकर युवती को मुख्य सचिव के घर बुलाया गया और वहां अधिकारियों ने उसके साथ बलात्कार किया.
पोर्ट ब्लेयर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश पर पुलिस ने इस महीने की शुरुआत में युवती से मिली तहरीर के आधार पर मामला दर्ज किया. अदालत ने युवती की शिकायत पर संज्ञान लिया, जिसमें आरोप लगाया गया है कि 1990 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी व तत्कालीन मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण, श्रम आयुक्त आर. एल. ऋषि ने उसके साथ गैंगरेप किया है और एक पुलिस अधिकारी तथा एक होटल के मालिक ने इस अपराध में उनका साथ दिया है. अदालत ने 30 अगस्त को इस मामले में जांच का आदेश भी दिया.
युवती का आरोप है कि वह नौकरी के लिए दोनों अधिकारियों से मिलने गई थी, लेकिन उसके साथ ‘गैंगरेप’ किया गया. युवती ने कहा कि चूंकि उसके पिता और सौतेली मां उसकी आर्थिक जरूरतें पूरी नहीं कर पा रहे थे, इसलिए उसे नौकरी की जरूरत थी और कुछ लोगों ने इसी सिलसिले में उसे श्रम आयुक्त से मिलवाया, क्योंकि वह तत्कालीन मुख्य सचिव के करीबी थे. युवती ने दावा किया है कि मुख्य सचिव ने द्वीप में बिना किसी ‘औपचारिक साक्षात्कार’ के सिर्फ ‘सिफारिश के आधार पर 7,800 लोगों’ को नियुक्ति दी है.
महिला ने पुलिस में 21 अगस्त को तहरीर दी, जिसमें उसने 14 अप्रैल और एक मई महीनों में अपने साथ हुए बलात्कार की घटनाओं की पूरी जानकारी दी और साक्ष्य के रूप में तत्कालीन मुख्य सचिव के आवास में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज सुरक्षित रखने का अनुरोध किया. पीड़िता ने अधिकारी के आवास पर तैनात कर्मचारियों की पहचान परेड कराने का भी अनुरोध किया है.
युवती ने मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराया है. इस धारा के तहत बयान दर्ज कराने वाले व्यक्ति के आरोप अगर गलत साबित होते हैं तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.
युवती ने अपने बयान में दावा किया है कि 14 अप्रैल को रात नौ बजे उसे आईएएस अधिकारी के आवास पर ले जाया गया. प्राथमिकी के अनुसार, उसका दावा है कि ‘तत्कालीन मुख्य सचिव, आईएएस अधिकारी जितेन्द्र नारायण ने मुझे किसी भी विभाग में जल्दी सरकारी नौकरी देने का वादा किया और इस संबंध में ताजा जानकारी पाते रहने के लिए श्री ऋषि के संपर्क में रहने को कहा.’
अबरदीन थाने में इस संबंध में मामला दर्ज किया गया है और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) नारायण के खिलाफ मामले की जांच कर रहा है. नारायण फिलहाल दिल्ली वित्त आयोग में अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक के पद पर हैं.