दिल्ली| सीएम अरविंद केजरीवाल को एक और झटका लगा है. उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन (डीडीसीडी) को अस्थायी रूप से भंग करने की मंजूरी दे दी है. साथ ही, कमीशन के गैर-आधिकारिक सदस्यों को भी हटाने का आदेश दिया है. डीडीसीडी को केजरीवाल सरकार का थिंक टैंक माना जाता था. दिल्ली सरकार ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कही है.
उपराज्यपाल ने अपने आदेश में कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन बनाया था. उनका मकसद सिर्फ वित्तीय लाभ बढ़ाने और पक्षपातपूर्ण झुकाव वाले कुछ पसंदीदा राजनीतिक व्यक्तियों को संरक्षण देना था. इन पदों पर राजनीतिक रूप से नियुक्त व्यक्तियों को मुख्यमंत्री की इच्छा और इच्छा पर इन पदों पर बने रहने की अनुमति दी गई.
डीडीसीडी शुरू से ही बीजेपी के निशाने पर रहा. बीजेपी का आरोप था कि इसमें आम आदमी पार्टी से जुड़े लोगों की मनमानी भर्ती की गई और वे सरकारी सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं. करीब डेढ़ साल पहले उपराज्यपाल ने इसके वाइस चेयरमैन रहे जैस्मिन शाह को मिलने वाली सभी सरकारी सेवा और सुविधा पर रोक लगा दी थी. साथ ही जैस्मिन शाह के दफ्तर पर तुरंत ताला लगा दिया था.
दिल्ली डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन आम आदमी पार्टी सरकार की सारी योजनाएं बनाने में अहम भूमिका निभाता था. उसका क्रियान्वयन कैसे हो, उसे लागू कैसे किया जाए, इसके बारे में सरकार को सलाह देता था. केजरीवाल के इस महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की शुरुआत 8 साल पहले हुई थी. उसी वक्त इसका वाइस चेयरमैन जैस्मिन शाह को बनाया गया था. शाह आम आदमी पार्टी के नेता हैं और अक्सर पार्टी और सरकार का पक्ष रखते नजर आते हैं. इसी वजह से उन पर पद के दुरुपयोग के आरोप लगते रहे हैं.