बॉलीवुड फिल्मों में रोमांटिक गाने गाकर लाखों युवा दिलों की धड़कन बढ़ाने वाले मशहूर सिंगर कुमार सानू का जन्म 20 अक्टूबर 1957 को कोलकाता में हुआ था. कुमार सानू का असली नाम केदारनाथ भट्टाचार्य है. कुमार सानू के पिता पशुपति भट्टाचार्य एक तबला वादक और संगीतकार थे.
घर में संगीत का माहौल होने के कारण कुमार सानू का रुझान भी संगीत की तरफ हुआ. उन्होंने अपने पिता से तबला और संगीत की शिक्षा भी ली. कलकत्ता यूनिवर्सिटी से बीकॉम करने के दौरान ही सानू ने रेस्तरां वगैरह में गाना शुरू कर दिया था. वह ज्यादातर किशोर कुमार की तरह गाने की कोशिश करते थे. उसके बाद कुमार सानू को पहला फिल्मी ब्रेक बांग्लादेशी फिल्म ‘तीन कन्या’ के लिए मिला.
ये फिल्म 1986 में रिलीज हुई थी। इसके बाद वह बॉलीवुड में अपना भाग्य आजमाने के लिए मुंबई आ गए. हिंदी सिनेमा में पहला ब्रेक गजल सम्राट जगजीत सिंह ने फिल्म ‘आंधियां’ में दिया. उसके बाद अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म ‘जादूगर’ में कुमार सानू ने गाने गाए.
साल 1990 में रिलीज हुई ‘आशिकी’ के गानों ने कुमार सानू को बुलंदियों पर पहुंचाया
बता दें कि 1990 में विनोद खन्ना की फिल्म ‘जुर्म’ का गाना ‘जब कोई बात बिगड़ जाए’ से उन्हें पहली सफलता मिली. इसके बाद उनकी बॉलीवुड में पहचान बन गई. इसी साल हिंदी म्यूजिक इंडस्ट्री को हमेशा के लिए बदलने वाली फिल्म ‘आशिकी’ 1990 में रिलीज हुई.
इस फिल्म के नदीम-श्रवण म्यूजिक डायरेक्टर थे. इस फिल्म के निर्देशक महेश भट्ट थे. आशिकी में एक गाना छोड़कर सभी गाने कुमार सानू ने गाए थे. यह एक ‘म्यूजिकल’ फिल्म थी और इसके गानों ने रिकॉर्ड कीर्तिमान स्थापित किए. इस फिल्म में कुमार सानू के सारे गाने सुपरहिट रहे और कुमार सानू रातो-रात सुपरस्टार बन गए.
आशिकी के लिए कुमार सानू को सिंगिंग का पहला ‘फिल्मफेयर अवॉर्ड’ मिला. ये सिलसिले की शुरुआत भर थी. इसके बाद उन्हें अगले चार साल तक, यानी लगातार पांच बार ये अवॉर्ड मिला. आशिकी के बाद, 1991 में ‘साजन’, 1992 में ‘दीवाना’, 1993 में ‘बाजीगर’ और 1994 में फिल्म ‘1942 ए लव स्टोरी’ के लिए कुमार सानू को फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार