चक्रवार्ती तूफान ‘रेमल’ रविवार (26 मई) की रात पश्चिम बंगाल और ओडिशा के तट से टकरा सकता है. मौसम विभाग ने कहा है कि तूफान के साथ कम से कम 135 किलोमीटर की रफ्तार से हवाएं चलेंगी. समंदर में 1.5 मीटर ऊंची लहरें उठ सकती हैं. इससे समंदर से सटे कुछ निचले इलाके डूब सकते हैं. पूर्वोत्तर भारत के कई राज्यों में तेज हवा के साथ बारिश की भी आशंका है.
तो क्या है ‘रेमल’ का मतलब, जो बंगाल में तबाही मचा सकता है? तूफान का नाम रखता कौन है? इससे जुड़े क्या नियम-कानून हैं? समझते हैं
क्या है ‘रेमल’ का मतलब?
‘रेमल’ एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब होता है ‘रेत’. यह नाम ओमान का दिया हुआ है. ‘रेमल’ एक चक्रवाती तूफान है. तूफान वायुमंडलीय विक्षोभ या डिस्टर्बेंस की वजह से आते हैं. यह कम दबाव वाले क्षेत्र में बनता है. समंदर के उपर गर्म और नम हवा उठती है. फिर जब ये किसी ठंडी सतह से टकराते हैं तो तेज बारिश होती है और तेज हवाएं चलने लगती हैं. फिर यह तूफान का रूप ले लेता है.
कौन रखता है इनका नाम?
तो ओमान को इसका नाम रखने की जरूरत क्यों पड़ी? यूनाइटेड नेशंस की एक एजेंसी है ‘द वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेश’ (WMO), जिसके 185 मेंबर हैं. WMO ने साल 1972 में उत्तर हिंद महासागर क्षेत्र (जिसमें अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों शामिल हैं) में चक्रवात (साइक्लोन) की चेतावनी और आपदा की रोकथाम के लिए पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन्स (PTC) की स्थापना की.
शुरुआत में पीटीसी में कुल 8 सदस्य देश शामिल थे. तब भारत के अलावा बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, पाकिस्तान, श्रीलंका, ओमान और थाईलैंड इसके मेंबर थे. साल 2018 में पीटीसी का विस्तार हुआ और इसमें ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन को भी शामिल किया गया.
2004 से हुई शुरुआत
साल 2000 में ओमान की राजधानी मस्कट (Muscat), में PTC का 27वां सत्र आयोजित किया गया. इस सत्र में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में आने वाले चक्रवाती तूफान को नाम देने पर सहमति बनी. तय किया गया कि इस क्षेत्र में जो भी तूफान आएंगे, उसका नाम PTC के मेंबर बारी-बारी से रखेंगे. इसके बाद साल 2004 से इस क्षेत्र में चक्रवातों का नामकरण शुरू हुआ.
169 नाम वाली लिस्ट
अप्रैल 2020 में पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन्स यानी PTC ने ने चक्रवाती तूफान 169 नाम वाली एक लिस्ट जारी की. इसमें हर देश ने 13-13 नाम सुझाए थे. फिलहाल बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में कोई साइक्लोन आता है, तो इन्हीं 169 नाम की लिस्ट से तूफान का नाम रखा जाता है.
कैसे चुने जाते हैं नाम?
पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन्स (PTC) के हर मेंबर को अल्फाबेटिकल आधार पर चक्रवात का नाम रखने का मौका मिलता है. पर इसके लिए भी नियम बने हुए हैं. ऐसा नहीं है कि जिसके मन में जो आए, वही नाम रख दे.
नाम रखने के 5 पैरामीटर
1- तूफान का नाम न्यूट्रल होना चाहिए. उसका किसी भी तरह की राजनीति या राजनीतिक चेहरे, धर्म, समुदाय, लिंग अथवा संस्कृति से कोई संबंध या जुड़ाव नहीं होना चाहिए.
2- तूफान का नाम ऐसा नहीं होना चाहिए, जिसकी वजह से किसी धर्म, समुदाय अथवा व्यक्ति की भावना को किसी तरह ठेस पहुंचे.
3- तूफान का नाम अपमानजनक अथवा क्रूर नहीं होना चाहिए
4- नाम ऐसा होना चाहिए जो छोटा हो. बोलने में आसान हो और पीटीसी के किसी सदस्य देश को उसपर आपत्ति न हो
5- तूफान का नाम अधिकतम 8 शब्द का होना चाहिए. यह भी ध्यान रखना होता है कि यह नाम रिपीट ना हो यानी पहले कभी ना रखा गया हो.
कितने तरहे के होते हैं तूफान?
वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेश’ (WMO) ने तूफान को कुल 5 कैटेगरी में बांटा है. कैटेगरी वन के तूफान में 119 से 153 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलती हैं. इससे कम नुकसान होने की आशंका रहती है. कैटेगरी 2 में 154 से 170 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलती हैं. इससे थोड़ा नुकसान होने की आशंका रहती है. कैटेगरी 3 में 178 से 208 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलती हैं और यह काफी नुकसानदायक हो सकता है. कैटेगरी 4 में 209 से 251 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलती हैं. इससे इमारतों को नुकसान पहुंचता है.
सबसे ज्यादा खतरनाक कैटेगरी 5 का तूफान है, जिसमें 250 किलोमीटर प्रति घंटे से भी ज्यादा तेज हवाएं चलती हैं. इसमें जान-माल को खासा नुकसान पहुंचाने की आशंका रहती है.
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक हाल के सालों में दुनिया भर में जो तूफान आए हैं, उनमें से ज्यादातर कैटेगरी 3 के रहे हैं. आंकड़े उठाकर देखें तो पता लगता है कि भारत में तूफान से होने वाली मौतें, दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा हैं.