शनिवार को देश की राजधानी दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय और प्रस्तावों पर चर्चा की गई. सबसे महत्वपूर्ण खबर यह रही कि संजय झा को जेडीयू का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस प्रस्ताव को बैठक में रखा, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकृति मिली.
बैठक में संगठनात्मक मुद्दों पर चर्चा करते हुए जेडीयू ने 2025 के विधानसभा चुनाव की तैयारी पर जोर दिया. प्रस्ताव में कहा गया कि पार्टी कार्यकर्ता अनुशासित सिपाही की तरह काम करें. लोकसभा चुनाव में सफलतापूर्वक तालमेल और संवाद की रणनीति का पुनः उपयोग 2025 के विधानसभा चुनाव में भी किया जाएगा. प्रत्येक बूथ के लिए 5 से 10 कार्यकर्ताओं के नाम पहले से तय करने का निर्णय लिया गया. इसके साथ ही, राज्य और जिला पदाधिकारियों को बूथ प्रभारी के संपर्क में रहने की हिदायत दी गई.
बैठक में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज दिलाने पर भी चर्चा हुई. प्रस्ताव में कहा गया कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलने से राज्य के विकास की गति तेज हो सकेगी. बिहार की प्रगति और खुशहाली के लिए यह आवश्यक है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज मिले.
वहीं झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर भी चर्चा की गई. जेडीयू ने पहले भी झारखंड में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की है. अब आगामी चुनाव के लिए उन सीटों को चिन्हित करने का काम शुरू किया जाएगा जहां से हमारे प्रत्याशियों के जीतने की संभावना सबसे ज्यादा है. इसके बाद चुनावी रणनीति तैयार कर गंभीरता से कार्य किया जाएगा.
बैठक में एनडीए सरकार के साथ सहयोग पर भी चर्चा की गई. जेडीयू ने लोकसभा चुनाव में 16 सीटों पर चुनाव लड़ा और 12 सीटों पर जीत दर्ज की. केंद्र सरकार के गठन में भी जेडीयू की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. प्रस्ताव में कहा गया कि राजनीतिक सत्ता सेवा के लिए है, भोग के लिए नहीं. इस सोच के तहत सत्ता का उपयोग सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक बदलाव के लिए होना चाहिए.
प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक मामले की गहराई से जांच करने की मांग भी बैठक में की गई. दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और संसद में कठोर कानून बनाने की आवश्यकता पर बल दिया गया. इससे छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को कड़ा दंड दिया जा सकेगा.
जाति आधारित गणना और आरक्षण पर चर्चा
आपको बता दें कि बैठक में हाल ही में पटना हाई कोर्ट द्वारा जाति आधारित गणना और नए आरक्षण कानून को रद्द करने पर भी चिंता व्यक्त की गई. इससे विश्वविद्यालय में चल रहे नामांकन की प्रक्रिया प्रभावित होगी. सरकार ने इस निर्णय के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का निर्णय लिया है.