आज हमारी सेना के साथ देशवासियों के लिए भी बहुत गौरवशाली दिन है. जिसमें जवानों की वीरता, साहस, पराक्रम और शौर्य की अनेकों घटनाएं शामिल हैं. आजादी से लेकर अभी तक देश की सुरक्षा में यह जवान सीना तान कर खड़े हुए हैं. आइए अब बात शुरू करते हैं. आज 27 अक्टूबर है। जब-जब यह तारीख आती है तब भारतीय सेना की वह टुकड़ी की याद आती है, जिसने पैदल ही चल कर दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए लेकिन देश को आंच नहीं आने दी.
हम बात कर रहे हैं ‘इन्फेंट्री दिवस’ (पैदल सेना दिवस) की. देश में आज इन्फेंट्री दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस गौरवशाली दिन को हमारे सैनिक इन्फेंट्री दिवस के अदम्य साहस को याद कर रहे हैं. बता दें कि भारतीय सेना की इस डिविजन का इतिहास बेहद खास है और आजादी के ठीक बाद ही इन्फेंट्री को अपना कौशल दिखाने का मौका मिला था.
पैदल सेना ने बहादुरी से डटकर मुकाबला करते हुए दुश्मनों को पाकिस्तान भगाया. पैदल सेना भारतीय थल सेना की रीढ़ की हड्डी के समान है. इसको ‘क्वीन ऑफ द बैटल’ यानी ‘युद्ध की रानी’ कहा जाता है. आइए पैदल सेना के इतिहास को जानते हैं. अक्टूबर 1947 का महीना था. देश को आजाद हुए कुछ महीने हुए थे. तीन देशी रियासतों ने भारत में विलय से इनकार कर दिया था.
उनमें से एक रियासत जम्मू-कश्मीर की भी थी इस रियासत के उस समय शासक महाराजा हरि सिंह थे. मुस्लिमों की बड़ी आबादी होने की वजह से कश्मीर पर जिन्ना की पहले से नजर थी और हरि सिंह के इनकार के बाद पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा. पाकिस्तान ने कश्मीर को जबरन हड़पने की योजना बनाई. अपनी इस योजना के हिस्से के तौर पर पाकिस्तान ने कबायली पठानों को कश्मीर में घुसपैठ के लिए तैयार किया. कबायलियों की एक फौज ने 24 अक्टूबर, 1947 को सुबह में धावा बोल दिया.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार