मई में थोक महंगाई बढ़कर 15 महीनों के ऊपरी स्तर पर पहुंच गई है. आज यानी 14 जून को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार मई में थोक महंगाई बढ़कर 2.61% पर पहुंच गई है. फरवरी 2023 में थोक महंगाई दर 3.85% रही थी.
वहीं अप्रैल 2024 में महंगाई 1.26% रही थी, जो 13 महीने का उच्चतम स्तर था. इससे एक महीने पहले मार्च 2024 में ये 0.53% रही थी. फरवरी में थोक महंगाई 0.20% रही थी. उधर, बुधवार को रिटेल महंगाई में गिरावट देखने को मिली थी.
मई में खाद्य महंगाई दर 1.88% बढ़ी
खाद्य महंगाई दर अप्रैल के मुकाबले 5.52% से बढ़कर 7.40% हो गई.
रोजाना की जरूरत वाले सामानों की महंगाई दर 5.01% से बढ़कर 7.20% हो गई.
फ्यूल और पावर की थोक महंगाई दर 1.38% से घटकर 1.35% रही.
मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की थोक महंगाई दर -0.42% से बढ़कर 0.78% रही.
इससे पहले कल यानी 13 जून को मई के रिटेल महंगाई के आंकड़े जारी हुए थे. इसके अनुसार मई में रिटेल महंगाई 4.75% रही. यह 12 महीने का निचला स्तर है. वहीं एक महीने पहले यानी अप्रैल में रिटेल महंगाई घटकर 4.83% पर आ गई थी.
महंगाई कैसे मापी जाती है?
भारत में दो तरह की महंगाई होती है. एक रिटेल, यानी खुदरा और दूसरी थोक महंगाई होती है. रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है. इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं. वहीं, होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) का अर्थ उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है
महंगाई मापने के लिए अलग-अलग आइटम्स को शामिल किया जाता है. जैसे थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75%, प्राइमरी आर्टिकल जैसे फूड 20.02% और फ्यूल एंड पावर 14.23% होती है. वहीं, रिटेल महंगाई में फूड और प्रोडक्ट की भागीदारी 45.86%, हाउसिंग की 10.07% और फ्यूल सहित अन्य आइटम्स की भी भागीदारी होती है.