बिहार के मोतिहारी में रविवार को पुल भरभराकर गिर गया. यह घटना जिले के घोड़ासहन प्रखंड की है. इस पुल का निर्माण किया जा रहा था, लेकिन उससे पहले ही पुल गिर पड़ा. पुल को करीब 1.5 करोड़ की लागत से बनाया जा रहा था. यह पुल 40 फीट लंबा बनाया जा रहा था, जो घोड़ासहन प्रखंड के अमवा से चैनपुर स्टेशन रोड को जोड़ने के लिए बनाया जा रहा था.
इस पुल का निर्माण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत किया जा रहा था. जानकारी की मानें तो पुल की ढलाई के साथ ही उसका एक हिस्सा धव्स हो गया और पुल भरभराकर गिर गया. एक हफ्ते के अंदर भ्रष्टाचार का यह तीसरा पुल है जो बारिश से पहले ही धड़ाम से गिर गया. भरभराकर गिर गया. बिहार में पुल के गिरने की बात कोई नहीं है. जिस तरह से पुल गिरने की घटना सामने आ रही है. यह प्रशासन के कार्यों पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
बीते दिन सीवान जिले में भी पुल गिरने की घटना सामने आई थी. यह पुल महराजगंज अनुमंडल के पटेढ़ा और गरौली गांव को जोड़ता था. पुल के गिरने से दोनों गांवों में आवागमन पूरी तरह से ठप हो चुका है. यह पुल करीब 30 साल पुराना बताया जा रहा है. ग्रामीणों का आरोप है कि नहर की सफाई का काम किया जा रहा था और नहर की मिट्टी काटकर इसे नहर के बांध में फेंका जा रहा था. सफाई के दौरान सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया गया और पुल का पिलर इसकी वजह से गिर गया.
18 जून को बिहार के अररिया जिले में भी एक पुल के गिरने की खबर सामने आई थी. जहां बकरा नदी में निर्माणाधीन पुल अचानक से गिर गया. इस पुल का निर्माण करीब 12 करोड़ रुपये की लागत से की जा रही थी, लेकिन उद्धाटन से पहले ही पुल धड़ाम से गिर गया. पूरे मामले में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं. बिहार में यह पहली, दूसरी या तीसरी पुल गिरने की घटना सामने नहीं आई है. हर साल यहां पुल गिरने की घटना सामने आ रही है.
बीते साल भागलपुर में सुल्तानगंज में भी एक निर्माणाधीन पुल अचानक से गिरकर नदी में बह गया था. भागलपुर के अलावा पिछले साल सारण, पूर्णिया और दरभंगा से भी पुल गिरने की खबर सामने आई थी. इस तरह से लगातार गिरते पुल प्रशासन पर सवाल खड़े कर रहा है.