राजौरी मुठभेड़: राजौरी के 5 शहीदों की कहानियां- एक की दो हफ्ते बाद शादी थी, दूसरे के घरवाले खोज रहे थे दुल्हन, तीसरे के भाई भी हो चुके हैं शहीद

जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए पांच जवानों को सेना और पुलिस ने शुक्रवार (24 नवंबर) को श्रद्धांजलि अर्पित की. दरमसाल के बाजीमल इलाके में 22-23 नवंबर को सुरक्षा बलों के साथ 36 घंटे तक चली मुठभेड़ में अफगानिस्तान से ट्रेनिंग लेकर आए लश्कर के टॉप कमांडर समेत दो आतंकवादी मारे गए. इस दौरान सेना के 5 जवान भी शहीद हो गए. सेना ने आर्मी जनरल हॉस्पिटल राजौरी में जनरल ऑफिसर कमांडिंग रोमियो फोर्स के अधिकारियों और पुलिस ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी.

इस दौरान नॉर्थ विंग के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने खुलासा किया कि पाकिस्तानी के रिटायर्ड सैनिक आतंकवादी गुटों में शामिल हो गए हैं. कुछ आतंकवादी पाकिस्तानी सेना की स्पेशल फोर्सेस से रिटायर पाए गए हैं. पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में विदेशी आतंकवादियों को भेज रहा है क्योंकि यहां कोई लोकल भर्ती नहीं है. हम विदेशी आतंकवादियों को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं.

आतंकियों से मुकाबला करते हुए अपनी जान न्योछावर करने वाले कर्नाटक के मंगलोर के निवासी कैप्टन एम वी प्रांजल (63 राष्ट्रीय राइफल्स), उत्तर प्रदेश के आगरा के निवासी कैप्टन शुभम गुप्ता (9 पैरा), जम्मू-कश्मीर के पुंछ के निवासी हवलदार अब्दुल माजिद, उत्तराखंड के नैनीताल रहने वाले लांस नायक संजय बिष्ट और उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के पैराट्रूपर सचिन लौर शामिल हैं.

अलीगढ़ के सचिन लौर का पार्थिव शरीर शुक्रवार को टप्पल स्थित उसके गांव लाया जाएगा. सचिन लौर सिर्फ 24 साल की उम्र में शहीद हो गए. उन्होंने 20 मार्च 2019 को आर्मी ज्वाइन की थी और पैराट्रूपर के पद पर थे. सेना में जाने का उनका बचपन से ही सपना था.

शहीद सचिन की 8 दिसंबर को शादी होनी थी. परिवार इसकी तैयारियों में जुटा था. सभी लगातार उनसे छुट्टी लेकर गांव आने के लिए कह रहे थे. 8 दिसंबर को सचिन की बरात मथुरा के मांट जानी थी. लेकिन उसने कहा था कि अभी वह नहीं आएगा

एलओसी पर अजोट गांव के रहने वाले पैरा कमांडो अब्दुल माजिद के भाई भी 2017 में शहीद हुए थे. माजिद के भाई जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फेंट्री में सैनिक थे, जिन्हें पुंछ में हुई एक मुठभेड़ में शहादत मिली थी. माजिद के चाचा मोहम्मद युसुफ के मुताबिक उनके परिवार में 30 से 40 सदस्य सेना में रह चुके हैं. वहीं, माजिद ने मुठभेड़ के दौरान पत्नी को फोन किया था और कहा था कि वह जल्दी घर आएगा. लेकिन जब पत्नी शाम को दोबारा फोन किया तो उसका फोन बंद मिला. बाद में माजिद की शहादत की खबर सामने आई.

वहीं, कैप्टन प्रांजल के परिवार में उनकी पत्नी अदिति हैं, जबकि कैप्टन गुप्ता के परिवार में उनके पिता बसंत कुमार गुप्ता हैं. लांस नायक बिष्ट के परिवार में मां मंजू देवी और पैराट्रूपर लौर के परिवार में उनकी मां भगवती देवी ही हैं. सभी शहीद जवानों के पार्थिव शरीरों को अंतिम संस्कार के लिए उनके पैतृक स्थान भेजा जा रहा है.

डांगरी हमले का मास्टरमाइंड था कारी मुठभेड़ में मारे गए एक आतंकी का नाम कारी है. डिफेंस पीआरओ के मुताबिक, कारी पाकिस्तानी नागरिक था. उसे पाक और अफगान मोर्चे पर ट्रेंड किया गया था. दूसरे आतंकी की जानकारी अभी सामने नहीं आई है.

कारी लश्कर-ए-तैयबा का टॉप कमांडर था और पिछले एक साल से अपने ग्रुप के साथ राजौरी-पुंछ में एक्टिव था. उसे डांगरी और कंडी हमलों का मास्टरमाइंड भी माना जाता है.

कारी को जम्मू में आतंकवाद को दोबारा फैलाने के लिए भेजा गया था. वह आईईडी में स्पेशलिस्ट था और गुफाओं से छिपकर काम करने वाला ट्रेंड स्नाइपर भी रहा था.

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