बंगाल की खाड़ी में उठा रहा रेमल चक्रवात पश्चिम बंगाल समेत नॉर्थ ईस्ट के हिस्सों में अपना प्रभाव दिखा रहा है। इस चक्रवाती तूफान के बढ़ने से न केवल स्थानीय जीवन प्रभावित हुआ है, बल्कि आने वाले दिनों में पूर्वोत्तर भारत के किसानों के लिए भी बड़ी चुनौतियां पैदा हो गई हैं।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस तूफान की गति से मानसून के बादलों को आगे बढ़ाने की गति मिली है और इससे मानसून का सही समय पर पहुंचने में मदद मिल रही है। इस विशेषज्ञता के अनुसार, यदि रेमल चक्रवात समुद्री इलाकों को छोड़ दिया जाए, तो अन्य क्षेत्रों के किसानों को इससे बड़ा फायदा हो सकता है।
रेमल चक्रवात के सक्रिय होने से मौसम विभाग से लेकर सरकारी अमला तक सब जगह चक्रवात के प्रभाव को महसूस कर रहे हैं। इस तरह की चक्रवात के प्रारंभिक दौर में पश्चिम बंगाल और आसपास के समुद्री तटों पर उसका असर दिखने लगा है, जिससे जनजीवन पर भी प्रभाव पड़ रहा है।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के मौसम विशेषज्ञ अक्षित गोयल बताते हैं कि इस चक्रवात के प्रभाव और उसके दुष्प्रभाव पर अब गहरी अध्ययन किया जा रहा है। उनके मुताबिक, खेती-किसानी के लिए इस चक्रवात का व्यापक और सकारात्मक प्रभाव हो सकता है, विशेषकर मैदानी इलाकों में। उनकी राय में, चक्रवात की गति से मानसून की विंड्स पर भी बड़ा असर हो सकता है, जिससे मानसून के समय में दिशाएँ बदल सकती हैं और खेती-किसानी को सीधा लाभ हो सकता है।