पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य काफी समय से भाजपा से नाराज चल रहे थे. इसके साथ रायपुर भाजपा विधायक उमेश शर्मा काऊ करीब डेढ़ महीने पहले अपने विधानसभा क्षेत्र में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान ही अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं से हुई तकरार और बहस के बाद नाराज थे.
वहीं यशपाल आर्य की नाराजगी दूर करने के लिए पिछले महीने सुबह-सुबह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उनके आवास पहुंच गए थे. ‘मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने उन्हें मनाने की कोशिश भी की थी. लेकिन सीएम धामी की कोशिशें रंग नहीं ला पाई’. आपको बता दें कि यशपाल आर्य छह बार विधायक रह चुके हैं.यशपाल पूर्व में उत्तराखंड विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे हैं. यशपाल पहली बार 1989 में खटीमा सितारगंज सीट से विधायक बने थे.
उत्तर प्रदेश के जमाने से विधायक बनते आ रहे यशपाल आर्य उत्तराखंड गठित होने के पांच साल विधानसभा अध्यक्ष, विजय बहुगुणा और हरीश रावत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे और सात साल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे. दलित चेहरे के तौर पर कांग्रेस उनका सदुपयोग करती रही है. पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखंड में साल 2022 में अपनी सरकार आने पर दलित मुख्यमंत्री बनाने का बड़ा बयान दिया था. यशपाल आर्य दलित वर्ग से आते हैं. संभव है उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का पार्टी आलाकमान की ओर से आश्वासन दिया गया हो? राज्य में यशपाल आर्य की दलित वर्ग में अच्छी पकड़ मानी जाती है.
कांग्रेस के इस सियासी दांव के बाद फिलहाल भाजपा भी चुप नहीं बैठने वाली. भाजपा के राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी कई कांग्रेस विधायकों को अपने पाले में लाने का दावा कर रहे हैं. वहीं हरीश रावत, प्रीतम सिंह और गणेश गोदियाल भी भाजपा के बड़े नेताओं को कांग्रेस में मिलाने के लिए एलान कर चुके हैं. चुनाव से पहले भाजपा और कांग्रेस में दलबदल का खेल और भी देखने को मिल सकता है. राज्य के इस तरह के सियासी हालात से आने वाले समय में चुनाव बेहद दिलचस्प हो जाएंगे.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार