मोदी सरकार ने धान, बाजरा और कपास सहित 14 फसलों पर दी एमएसपी को मंजूरी

मोदी सरकार ने बड़ा अहम फैसला लिया है. सरकार ने 14 खरीफ सीजन की फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को मंजूरी दी है. जिन फसलों के लिए एमएसपी की मंजूरी दी गई है उनमें धान, रागी, बाजरा, ज्वार, मक्का और कपास मुख्त तौर पर शामिल है. देश में किसान लंबे समय से फसलों पर एमएसपी की मांग करते आए हैं, ऐसे में मोदी सरकार का ये फैसला किसानों के हित में देखा जा सकता है.

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने फसलों पर दी गई एमएसपी की मंजूरी के बारे में जानकारी दी है. केंद्रीय मंत्री उन्होंने कहा, ‘मंत्रिमंडल ने धान, रागी, बाजरा, ज्वार, मक्का और कपास सहित 14 खरीफ सीजन की फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को मंजूरी दी है.’

अश्विनी वैष्णव ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा से ही किसानों को प्राथमिकता देते हैं. अपने नए कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो पहला फैसला लिया है, वो भी किसानों को हित में लिया है. खरीफ सीजन की 14 फसलों पर आज कैबिनेट ने मंजूरी दी है. सरकार ने पहले भी कहा है कि एमएसपी कम से कम डेढ़ गुना कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन होनी ही चाहिए. साथ ही उन्होंने ने कहा कि पीएम मोदी का तीसरा कार्यकाल बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह किसानों के कल्याण के लिए कई फैसलों के माध्यम से परिवर्तन के साथ निरंतरता पर केंद्रित है.’

कपास के लिए एमएसपी में 501 रुपये की वृद्धि की गई है. धान के लिए एमएसपी को 117 रुपये बढ़ाकर 2,300 रुपये प्रति क्विंटल करने को मंजूरी दी.

अश्विनी वैष्णव ने बताया कि आज के फैसले से किसानों को एमएसपी के रूप में लगभग 2 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे. यह पिछले सीजन की तुलना में 35,000 करोड़ रुपये अधिक है.’

महाराष्ट्र-वधावन पोर्ट प्रोजेक्ट डेवलप करने को भी मंजूरी दी गई है. अश्विनी वैष्णव ने बताया कि महाराष्ट्र के पालघर जिले के दहानु में वधावन बंदरगाह के लिए 76,200 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी गई है. इस बंदरगाह की क्षमता 23 मिलियन टीयू होगी. इस पोर्ट से 12 लाख रोजगार सृजित होने का अनुमान है. यह पोर्ट IMEC (भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर) का एक अभिन्न अंग होगा. इसका निर्माण जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी और महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड के ज्वाइंट वेंचर द्वारा किया जाएगा. यह दुनिया के शीर्ष 10 बंदरगाहों में से एक होगा.

इसके अलावा कैबिनेट ने भारत के पहले ऑफशोर विंड एनर्जी प्रोजेक्ट को भी मंजूरी दी है. यह 1 गीगावाट का ऑफशोर विंड एनर्जी प्रोजेक्ट होगा, जिनमें से प्रत्येक 500 मेगावाट गुजरात और तमिलनाडु के तट पर विकसित किया जाएगा.

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