रविवार को बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने एक बड़ा राजनीतिक फ़ैसला ले लिया है. मायावती ने एक बार फिर अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है. लखनऊ में बसपा की बैठक में जिस अन्दाज़ में मायावती ने आकाश आनंद के सिर पर हाथ रखा, उससे इस बात के क़यास सुबह ही लगने लगे थे कि मायावती आकाश आनंद की वापसी का फ़ैसला ले सकती हैं.
राजनीति में आकाश आनंद की शुरुआत नेशनल कॉर्डिनेटर के पद से हुई थी. मायावती के संगठन को खड़ा करने और चुनाव प्रचार करने के लिए आकाश आनंद को पहले नेशनल कॉर्डिनेटर बनाया और इसके बाद 10 दिसंबर 2023 को उन्हें मायावती ने अपना उत्तराधिकारी बना दिया था. आकाश ने सक्रिय राजनीति शुरू की और लोकसभा चुनाव में जमकर प्रचार किया, लेकिन लोकसभा चुनाव के बीच 7 मई 2024 को मायावती में आकाश आनंद को ना सिर्फ़ नेशनल कॉर्डिनेटर के पद से, बल्कि उत्तराधिकारी के पद से भी हटा दिया. साथ ही उन्हें राजनीतिक तौर पर अपरिपक्व बता दिया था.
इससे पहले शनिवार को आकाश आनंद को उत्तराखंड में होने वाले उपचुनाव में पार्टी के स्टार प्रचारक बनाया गया. पंजाब और उत्तराखंड में विधानसभा के उपचुनाव होने वाले हैं. बसपा ने इसके लिए अपने 13 स्टार प्रचारकों की एक सूची जारी की, जिसमें पहले नंबर पर बसपा मुखिया मायावती का नाम है और दूसरे नंबर पर आकाश आनंद का नाम है. इससे ही अंदाजा लग गया था कि आकाश आनंद की राजनीति में एक बार फिर एंट्री हो गई है. बस आधिकारिक घोषणा बाकी है. बसपा के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर उत्तराखंड के लिए राम जी गौतम हैं, जबकि पंजाब के लिए रणधीर सिंह बेनिवाल हैं. उत्तराखंड की दो और पंजाब की एक विधानसभा सीट पर 10 जुलाई को उपचुनाव के लिए मतदान होने हैं.
बीएसपी राजनीतिक तौर पर अपने सबसे ख़राब दौर से गुज़र रही है…
2014 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी का खाता नहीं खुला था, लेकिन विधानसभा में बसपा के 19 विधायक थे.
2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी गठबंधन में बसपा ने लोकसभा की दस सीटें जीत लीं.
2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा का सिर्फ़ एक विधायक चुनाव जीता.
2024 में लोकसभा में बसपा कोई सीट ना जीत सकी. इसी की समीक्षा के लिए लखनऊ में बुलाई बैठक में मायावती ने सभी को आकाश को लेकर संदेश दे दिया.
फ़िलहाल डेढ़ महीने में आकाश राजनीतिक तौर पर कितने परिपक्व हुए हैं, ये तो मायावती ही जानें. आकाश आनंद ना सिर्फ़ पार्टी के युवा चेहरे के तौर पर ना सिर्फ़ यूपी में, बल्कि देश के अलग-अलग राज्यों में चुनाव प्रचार करते दिखेंगे. यानी आकाश में मायावती एक राजनीतिक भविष्य देख रही हैं और आकाश भविष्य में बसपा का चेहरा हो सकते हैं. अगर ऐसा होता है, तो कोई हैरानी नहीं होगी.