सोमवार को cसीमा पर तनाव बढ़ गया. तनाव अपने चरम पर तब पहुंचा जब झड़प में असम पुलिस के 6 जवान मारे गए और 50 लोग घायल हो गए. इस कार्रवाई के लिए असम और मिजोरम दोनों एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.
दोनों पक्षों का कहना है उकसाने वाली कार्रवाई दूसरी तरफ की गई. हालात तो तब और खराब हो गए जब दोनों राज्यों के सीएम सोशल मीडिया पर उलझ पड़े और केंद्र सरकार को दखल देना पड़ गया है.
आपस में उलझे दो राज्य
अब असम और मिजोरम के बीच विवाद की वजह क्या है उसे समझना जरूरी है. अगर तनाव के मूल में जाए तो दोनों राज्यों के बीच जमीन विवाद है. असम को लगता है कि उसकी जमीन पर मिजोरम का अवैध कब्जा हो तो मिजोरम को लगता है कि 1873 में जिस नियम के तहत उसे जमीन हासिल हुई थी असम उसका उल्लंघन कर रहा है.
आखिर क्या है विवाद की जगह
असम और मिजोरम एक दूसरे के पड़ोसी हैं और दोनों के बीच जमीन से संबंधित करीब 100 साल पुराना विवाद है. मिजोरम के आईजोल, कोलासिब, ममित और असम के कछार, करीमगंज और हैलाकांडी एक दुसर से जुड़े हैं.
दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद सुलझाने की कोशिश 1995 से शुरू की गई हालांकि इसका फायदा नहीं मिला. हाल ही में मिजोरम की तरफ से सीमा आयोग बनाया गया है और इसके साथ ही केंद्र सरकार की तरफ से भी इस संबंध में बैठक की गई है.
मिजोरम का कहना है कि बंगाल पूर्वी सीमांत नियम 1873 के तहत 509 वर्गमील आरक्षित वन उसके कब्जे में होना चाहिए. लेकिन 1933 में तय नक्शे को असम अपने पक्ष में मानता है. लेकिन मिजोरम का कहना है कि 1933 में जो नक्शा पेश किया गया उसमें मिजोरम की राय नहीं ली गई थी.
नो मेंस लैंड पर बनी थी सहमति
अधिकारियों का कहना है कि कहा कि मिजोरम और असम के बीच हुए एक समझौते के तहत सीमावर्ती इलाके में नो मैन्स लैंड में यथास्थिति बरकरार रखी जानी थी. लेकिन फरवरी 2018 में, उस समय हिंसा हुई जब छात्र संघ एमजेडपी (मिज़ो ज़िरलाई पावल) ने असम द्वारा दावा की गई भूमि पर किसानों के लिए एक लकड़ी का विश्राम गृह बनाया और जिसे असम पुलिस ने ध्वस्त कर दिया.