दिल्ली के छावला इलाके में एक 19 साल की लड़की का अपहरण कर गैंगरेप और फिर बेहद क्रूरता से हत्या करने के मामले में दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बरी कर दिया. इन तीनों दोषियों को दिल्ली हाईकोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी. इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलटते हुए दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया है.
जस्टिस उदय उमेश ललित , जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने यह फैसला सुनाया है. मामले में सुनवाई करते हुए 7 अप्रैल 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने तीनों दोषियों की मौत की सजा पर फैसला सुरक्षित रखा था.
क्या था पूरा मामला?
इस केस को दूसरा निर्भया कांड जैसा था. उत्तराखंड के पौड़ी की रहने वाली 19 साल की लड़की के साथ आरोपियों ने दरिंदगी और हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थी. आरोपियों ने पहले युवकी के साथ गैंगरेप किया और उसकी आंखों में तेजाब डालकर मार डाला था. घटना 14 फरवरी 2012 की है. युवती घर देर शाम घर जा रही थी.
तभी तीन रवि कुमार, राहुल और विनोद नाम के तीन युवकों ने उसका अपहरण कर लिया था. परिजनों ने लड़की कई दिनों तक तलाश की लेकिन उसका सुराग नहीं लगा. हालांकि, पुलिस को छानबीन में पता चला था कि कुछ लोग लड़की को गाड़ी में डालकर दिल्ली से बाहर ले जाते देखे गए.
आरोपियों ने लड़की के साथ गैंगरेप किया और कार में इस्तेमाल होने वाले औजारों से उसे पीटा गया. उसके शरीर को सिगरेट से जलाया गया. दोनों आखों में तेजाब डालकर उसकी हत्या कर दी थी. इस मामले में निचली अदालत और दिल्ली हाईकोर्ट ने तीनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी.
इसके बाद दोषियों की तरफ से सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हाईकोर्ट के फैसले के पलटते हुए तीनों दोषियों को बरी कर दिया.