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देहरादून: सीएस राधा रतूड़ी ने दी अधिकारियों को औपचारिकताओं से हटकर प्रो-एक्टिव होकर कार्य करने की नसीहत

देहरादून| मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने जनहित में सभी निर्माण एवं कार्य स्थलों पर अनिवार्य रूप से इस सूचना के प्रचार-प्रसार के निर्देश दिए हैं कि उत्तराखण्ड में अन्य राज्यों से आए श्रमिकों को भी उनके राशन कार्ड के माध्यम से राशन दिया जा रहा है. इस मामले में उत्तराखण्ड राज्य का देशभर में 6वां स्थान है, यह एक बेहतरीन रिकॉर्ड है.

इसके साथ ही शुक्रवार को महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग की राज्य स्तरीय मूल्यांकन एवं अनुश्रवण समिति की बैठक में सीएस राधा रतूड़ी ने निदेशालय स्तर पर इंटिग्रेटेड डाटा बेस हेतु स्टेट रिसोर्स सेन्टर के गठन की स्वीकृति दी. यह स्टेट रिसोर्स सेन्टर रियल टाइम डाटा उन्होंने सम्बन्धित सचिव को सभी जिलाधिकारियों को जनपदों में आवासीय कॉलोनियों में बाल श्रम पर पूर्णतः प्रतिबन्ध हेतु सर्कुलर जारी करने हेतु तत्काल निर्देश जारी करने के निर्देश भी दिए. मुख्य सचिव ने शिक्षा विभाग को बाल विवाह से मुक्त करवाई गई बालिकाओं हेतु आवासीय विद्यालयों एवं हॉस्टल में शिक्षा की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं.

पिथौरागढ़ एवं हरिद्वार जिलों में बाल विवाह व चंपावत में मानव तस्करी के अधिक मामलों को गम्भीरता से लेते हुए सीएस रतूड़ी ने विभाग को प्रत्येक जिले हेतु अलग-अलग एक्शन प्लान बनाने के निर्देश जारी किए हैं. उन्होंने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायतों के सम्बन्ध में अनिवार्यतः आन्तरिक परिवाद समिति समितियों के गठन को लेकर सभी विभागों, सरकारी संगठनों, प्राधिकरणों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, संस्थानों, निकायों, समस्त की स्थिति स्पष्ट करने वाली रिपोर्ट भी तलब की. इसके साथ ही मुख्य सचिव ने बैठक में मौजूद एनजीओ, सामाजिक सेवा संस्थानों व विभागों से राज्य में कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी से सम्बन्धित रिपोर्ट एवं कार्यबल में महिला हिस्सेदारी बढ़ाने हेतु कार्ययोजना बनाने के भी निर्देश दिए.

राज्य में विद्यालयी शिक्षा विभाग द्वारा बालिका ड्रॉप आउट के प्रतिशत में आंकड़ों का संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि प्रदेश में पढ़ाई छोड़ चुकी बालिकाओं के नामों की स्पष्ट सूची जल्द से जल्द संकलित की जाय ताकि उन्हें पुनः शिक्षा से जोड़ने की कार्ययोजना पर कार्य किया जा सके. उन्होंने इस सम्बन्ध में अधिकारियों को औपचारिकताओं से हटकर प्रो-एक्टिव होकर कार्य करने की नसीहत दी.

जनपद हरिद्वार में गर्भवती महिलाओं में एनिमिया की कमी के कारण महिलाओं व बच्चों की मृत्यु दर अन्य जनपदों से अधिक होने के मामलें को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव ने चिकित्सा विभाग से इस सम्बन्ध में की गई कार्यवाही की रिपोर्ट तलब की.

बैठक में सचिव चन्द्रेश कुमार, विनोद कुमार सुमन सहित गृह विभाग, वित्त विभाग, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी, बचपन बचाओं आन्दोलन के प्रतिनिधि मौजूद रहे.

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