निर्जला एकादशी का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है. इस दिन बिना जल पिए व्रत किया जाता है. मान्यता है कि इस व्रत की महिमा को महाभारत काल में वेदव्यास जी ने भीम को बताया था. हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है. माना जाता है कि इस व्रत को करने से श्री हरि की कृपा मिलती है और सभी पापों का नाश होता है. मान्यता है कि निर्जला एकादशी व्रत सभी तीर्थों में स्नान करने का पुण्य देता है. इस व्रत से मोक्ष की प्राप्ति होती है और समस्त पापों का नाश होता है.
बता दें कि निर्जला एकादशी का व्रत करने के लिए सुबह स्नान आदि कर पीले वस्त्र धारण करें. भगवान विष्णु की प्रतिमा को एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर रखें और उनके सामने दीपक जलाएं. इस व्रत में गोदान, वस्त्र दान, फल व भोजन दान का काफी महत्व होता है. खासतौर पर जल दान को इस दिन आवश्यक बताया गया है.
निर्जला एकादशी पर करें इस मंत्र का जाप-:
निर्जला एकादशी के दिन कुछ विशेष उपाय करने से दान पुण्य की प्राप्ति होती है. निर्जला एकादशी पर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपनी हथेलियों को देखते हुए इस मंत्र का जाप करें.
कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती.
करमूले तू गोविंद, प्रभातेकरदर्शनम्..
निर्जला एकादशी के दिन पीपल के पेड़ में कच्चा दूध और जल डालते हुए ये मंत्र बोलें. ऐसा माना जाता है कि इससे लक्ष्मी की कभी कमी नहीं होती.
मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे. अग्रत: शिवरूपाय वृक्षराजाय ते नम:..
आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसम्पदम्. देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:..
निर्जला एकादशी व्रत की पूजा सामग्री-:
निर्जला एकादशी व्रत पर पूजा करने के लिए भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र, पीले फूल, पीले वस्त्र, फल, नारियल, दीप, धूप, तुलसी के पत्ते, पंचामृत, कपूर, पान, इलाइची, लौंग, सुपारी, मिठाई, चंदन, हल्दी, कुमकुम, अक्षत, घी और व्रत कथा की पुस्तक अपने पास रखें. निर्जला एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की पूजा आराधना के लिए रखा जाता है. इस दिन भक्त सुबह स्नान आदि करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा आराधना करते हैं वह पूरे दिन निर्जला व्रत रखते हैं.