उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर इस बार राजनीति के जानकारों को भी समझ में नहीं आया. पिछले दो-तीन महीनों से हर बार सियासी माहौल बनता है कि अब योगी सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार होने जा रहा है. लेकिन किसी न किसी कारणों से यह हर बार स्थगित होता रहा है.
अब एक बार फिर से लखनऊ से लेकर दिल्ली तक यूपी मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भाजपा और संघ के नेताओं के बीच बैठकों का दौर शुरू हो गया है.
लेकिन अब मुख्यमंत्री योगी अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने के लिए तैयार हैं. इसी महीने में सीएम योगी अपनी नई टीम तैयार कर लेंगे. पिछले सप्ताह अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दौरे पर आए पीएम मोदी ने योगी की जमकर पीठ थपथपाई थी. तभी से यूपी कैबिनेट विस्तार की उल्टी गिनती शुरू हो गई थी.
अटकलें यह भी है कि 7 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया था उसी तर्ज पर योगी भी जातीय समीकरण पर फोकस कर सकते हैं. बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में उम्रदराज मंत्रियों और कमजोर प्रदर्शन करने वाले मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है. वहीं जातीय समीकरण को देखते हुए युवाओं को मौका दिया गया है.
इतना ही नहीं केंद्रीय मंत्रिमंडल में महिला मंत्रियों की संख्या भी बढ़ाई गई है. अब केंद्र सरकार में करीब एक दर्जन मंत्री ऐसे हैं, जो यूपी से आते हैं. इसी को लेकर लखनऊ में रविवार को संघ, सरकार और संगठन की समन्वय बैठक हुई थी, जिसमें योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, संगठन महामंत्री सुनील बंसल और दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, दिनेश शर्मा, संघ के सर कार्यवाह दत्रात्रेय होसबोले भी मौजूद रहे. इसमें मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सहमति बनी.
संघ की हुई बैठक में यह निर्णय किया गया है कि सरकार और संगठन की छवि खराब करने वाले मंत्रियों को हटाया जाए. जिसके बाद प्रदेश के मंत्रियों में हलचल शुरू हो गई है. राजधानी दिल्ली में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह व संगठन महामंत्री सुनील बंसल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की. माना जा रहा है कि इस मुलाकात के बाद योगी सरकार में फेरबदल की अंतिम मुहर लग चुकी है.
कयास लगाए जा रहे हैं कि यूपी के सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा, पशुधन एवं मत्स्य मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी, लोक निर्माण राज्यमंत्री चंद्रिका प्रसाद, खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री चौधरी उदय भान सिंह की छुट्टी हो सकती है. मौजूदा समय में यूपी मंत्रिमंडल में सीएम के अलावा 22 कैबिनेट मंत्री, 9 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 21 राज्यमंत्री यानी कुल 53 लोग शामिल हैं.
कैबिनेट में 60 लोग शामिल हो सकते हैं, इस वजह से अधिकतम सात नए मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है. योगी की नई टीम में दलित और पिछड़ा वर्ग के साथ ब्राह्मणों को भी जगह मिल सकती है. दूसरी ओर यूपी में 4 विधान परिषद की सीटें खाली हैं, इनको भरने की कवायद भी शुरू हो चुकी हैं. पिछले दिनों भाजपा में शामिल हुए ब्राह्मण चेहरा जितिन प्रसाद को विधान परिषद सदस्य बनाया जा सकता है.
ब्राह्मणों की नाराजगी दूर करने के लिए जितिन को उत्तर प्रदेश में मंत्री बनाया जा सकता है. दूसरा नाम संजय निषाद का है, जिन्हें यूपी विधान परिषद में भेजा जा सकता है. संजय, निषाद पार्टी के संस्थापक हैं और बीजेपी के सामने दबाव बना रहे हैं कि उन्हें उपमुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित करके चुनाव मैदान में उतारा जाए.
संजय निषाद को भी विधान परिषद सदस्य बनाया जा सकता है. साल 2022 की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री योगी अपने नए कैबिनेट में जातीय समीकरण साधने में लगे हुए हैं.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार