एक नज़र इधर भी

योग दिवस 2021: मनुष्य की आध्यात्मिक चेतना को भी जागृत करता है योग

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शरीर की क्रियाशीलता को बढ़ाने और बेहतर सेहत के लिए योग करना बेहद महत्वपूर्ण है. योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत धातु ‘युज’ से हुई है जिसका मतलब व्यक्तिगत चेतना होता है. बताया जाता है योग का इतिहास 26 हजार साल पुराना है और इसके जनक महर्षि पतंजलि ही हैं जिन्होंने आस्था, धर्म और अंधविश्वास से अलग हटाकर योग की व्याख्या की.मानव सभ्यता की शुरुआत से ही योग किया जा रहा है.

योग के विज्ञान की उत्पत्ति हजारों साल पहले धर्मों या आस्था के जन्म लेने से भी काफी पहले हो गई थी. योग विद्या के अनुसार शिव को पहले योगी या आदि योगी तथा पहले गुरु या आदि गुरु के रूप में माना जाता है. योग एक संस्कृत शब्द है. ऋग्वेद में की गई इसकी व्याख्या के अनुसार योग एक ऐसी शक्ति है जिससे हम अपने मन, मस्तिष्क और शरीर को एक सूत्र में पिरो सकते हैं.

इतना ही नहीं योग मनुष्य की आध्यात्मिक चेतना को जागृत भी करने की क्षमता रखता है. योग जिसका उद्देश्य मनुष्य को वह मार्ग दिखाना है जिस पर चलकर वह जीवन के परम लक्ष्य की प्राप्ति कर सके. कहा जाता है मैडिटेशन के माध्यम से कोई भी बहुत ही सरलता से व्यक्ति आत्म-साक्षरता पाकर परमात्मा से जुड़ सकता है. बता दें कि, 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस या विश्व योग दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी.

21 जून साल का सबसे लंबा दिन होता है और धरती पर सूर्य सबसे ज्यादा समय तक रहता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के तौर पर मनाने के पीछे ये बड़ा कारण है. इसके अलावा भारत में इस दिन ग्रीष्मकालीन संक्रांति का दिन भी होता है.

भागदौड़ भरे जीवन के बाद आज योग को लेकर लोग स्वयं जागरूक होते जा रहे हैं. यही नहीं कोरोना महामारी के बाद योग की महत्वता और भी बढ़ गई है, तो आइए इस योग दिवस पर अच्छी सेहत के लिए कुछ समय निकालें और इसे हर दिन की आदतों में शुमार करें .

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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