अलविदा 2020: दिल्ली हिंसा समेत क्राइम की इन 5 घटनाओं से सहम गया था पूरा देश

साल 2020 बहुत ही जल्द विदा होने वाला है. इस वर्ष के विदा होने में चंद दिन है बचे हैं. लेकिन यह वर्ष मानवता पर बहुत भारी पड़ा है. क्योंकि चीन के वुहान शहर से निकले कोरोना वायरस बहुत कुछ तबाह करके रख दिया है. दुनियाभर में कई लाख लोगों की जान गई है.

रोजगार, अर्थव्यवस्था से लेकर विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य समेत ऐसा कोई क्षेत्र नहीं बचा है जिससे प्रभावित न हुआ हो. लेकिन इस साल 2020 में कुछ और भी घटनाएं हैं, जिनकी वजह से यह वर्ष सदियों तक याद रखा जाएगा.

हम आपको 5 ऐसी अपराध जगत की घटनाओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने पूरे भारत को हिलाकर रख दिया. चलिए आपको बताते हैं वो कौन सी घटनाएं.

देश गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर केस – 2 जुलाई 2020 की रात कानपुर के बिकरू गांव में बदमाशों ने पुलिसकर्मियों पर ताबड़तोड़ गोलियां दागी थीं. इस फायरिंग में 8 पुलिसकर्मियों की जान चली गई थी. दरअसल, पुलिस गैंगस्टर विकास दुबे को पुलिस गिरफ्तार करने गई थी. लेकिन उसे इसकी पहले से भनक लग गई थी. विकास ने पूरी तैयारी से पुलिस पर हमला बोल दिया था. जिसमें 8 पुलिसकर्मियों की जान चली गई थी. कई दिनों तक लुकाछुपी का खेल खेलने के बाद पुलिस ने गैंगस्टर विकास दुबे को पुलिस ने मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार कर लिया था. उत्तर प्रदेश पुलिस जब विकास दुबे को कानपुर लेकर वापस आ रही थी तब गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया था. इस दौरान विकास दुबे ने पुलिसकर्मी की गन छिनकर भागने की कोशिश की. इस दौरान पुलिस ने एनकाउंट में विकास दुबे का मार गिराया था. पुलिस के इस एनकाउंटर पर काफी सवाल उठे थे.

हाथरस गैंगरेप केस- उत्तर प्रदेश के हाथरस में 14 सितंबर को एक 20 साल की दलित लड़की से गांव के ही कुछ लड़कों उसका गैंगरेप किया. हैवानों ने रेप के दौरान लड़की को बेरहमी से पीटा. शुरुआती इलाज के बाद लड़की को इलाज के लिए दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन 29 दिसंबर को पीड़िता जिंदगी की जंग हार गई. इसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने आनन-फानन में देर रात करीब 3 बजे पीड़ित परिवार को घर में बंद कर रात में ही लड़की का अंतिम संस्कार कर दिया. रात में लड़की का अंतिम संस्कार करने पर खूब सियासत गरमाई और यूपी पुलिस सवालों के घेरे में आ गई है. बाद में एसआईटी का गठन हुआ और इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपी गई.

पालघर मॉब लिंचिंग- इसी साल 16 अप्रैल को महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं और उनके ड्राइवर की हत्या कर दी गई थी. साधुओं की हत्या से देशभर के साधु-संतों में खासा गुस्सा था. बताया गया था कि यह साधु कार में सवार होकर मुंबई से एक अंतिम संस्कार में शामिल होने सूरत जा रहे थे. इस दौरान भीड़ में दो साधुओं और उनके ड्राइवर की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. ऐसे बताया जा गया था, भीड़ ने उनकी गाड़ी को रोका और बच्चा चोर होने के शक में बेरहमी पीटकर मार डाला था. पालघर जिला ग्रामीण पुलिस ने लिंचिंग की इस घटना के सिलसिले में तीन केस दर्ज किए थे. इस घाटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था. इस मामले को सांप्रयादिक रंग देने की भी कोशिश की गई थी. मिली जानकारी मुताबिक, पुलिस और राज्य सीआईडी इस मामले के संबंध में 134 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट में यह मामला है.

शिवहर गोलीकांड- इसी साल 24 अक्टूबर को बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान जनता दल राष्ट्रवादी पार्टी के प्रत्याशी नारायण सिंह पर हमला किया गया था. दो बाइक सवार हमलावर उनके पास आए और उन पर फायरिंग कर दी. इस घटना में नारायण सिंह की मौत हो गई थी. भीड़ ने दोनों हमलावरों को पकड़ लिया था और उनमें से एक हमलावर को पीट-पीटकर मार डाला था. नारायण सिंह बिहार विधानसभा चुनाव में शिवहर जनता दल राष्ट्रवादी पार्टी के प्रत्याशी थे. दिल्ली हिंसा * देश की राजधानी समेत नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ पूर्वोत्तर के कई शहरों में प्रदर्शन किया गया था. दिल्ली के शाहीनबाग में सीएए और एनआरसी के खिलाफ लंबे समय तक प्रदर्शन चला और हजारों लोग शामिल भी हुए. उधर, सीएए के विरोध में भड़की हिंसा इसी साल फरवरी महीने के आखिर तक दंगों में तब्दील हो गई थी. इस हिंसा में 50 से अधिक लोगों की जान चली गई थी. जबकि सैंकड़ों लोग घायल हो गए थे. कई दिनों तक उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में कर्फ्यू लगा रहा था. इस दौरान देश के राज्यों से हिंसा की खबरें सामने आईं थी. प्रदर्शनकारियों ने कई राज्यों में आगजनी भी की थी. दिल्ली के दंगों का डर पूरे देश में देखा जा रहा था.

दिल्ली हिंसा- देश की राजधानी समेत नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ पूर्वोत्तर के कई शहरों में प्रदर्शन किया गया था. दिल्ली के शाहीनबाग में सीएए और एनआरसी के खिलाफ लंबे समय तक प्रदर्शन चला और हजारों लोग शामिल भी हुए. उधर, सीएए के विरोध में भड़की हिंसा इसी साल फरवरी महीने के आखिर तक दंगों में तब्दील हो गई थी. इस हिंसा में 50 से अधिक लोगों की जान चली गई थी. जबकि सैंकड़ों लोग घायल हो गए थे. कई दिनों तक उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में कर्फ्यू लगा रहा था. इस दौरान देश के राज्यों से हिंसा की खबरें सामने आईं थी. प्रदर्शनकारियों ने कई राज्यों में आगजनी भी की थी. दिल्ली के दंगों का डर पूरे देश में देखा जा रहा था.

साभार-हरिभूमि

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