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क्या चाचा को अजीत पवार फिर देंगे गच्चा! बीजेपी में जाने की सुगबुगाहट तेज

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एनसीपी नेता अजित पवार

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) सुप्रीमो शरद पवार के विपक्ष को गुगली देने के बीच उनके भतीजे अजित पवार को लेकर सुगबुगाहट का दौर जारी है. सियासी हलकों में खबरें हैं कि अजीत भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं.

अजीत पवार ने खुद इस बात से इंकार किया है. अजीत पहले भी सियासी गुगली देने के लिए मशहूर रहे हैं ऐसे में उनके नए कदम का अंदाजा लगा पाना बेहद मुश्किल है. क्यों उठी है उनके बीजेपी में जाने की बात, जानने की कोशिश करते हैं.

दरअसल, राज्य सहकारी (एमएससी) बैंक में कथित धोखाधड़ी से जुड़े मामले में उनका नाम नहीं है और इसी ने नई अटकलों को हवा दी है. खबर है कि कुछ नेताओं ने यह दावा करके अफवाहों को हवा दी है कि अजित जल्द ही अपने समर्थकों के साथ पार्टी से छोड़ देंगे.

अजित पवार के अपने कुछ सहयोगियों ने दावा किया है कि बीजेपी नेता उनके संपर्क में हैं. चर्चा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके विधायकों को दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराए जाता है तो नए हालात में शिंदे-बीजेपी सरकार को समर्थन की जरूरत होगी. ऐसे में अजित पवार सरकार बचाए रखने के लिए उपयोगी साबित होंगे.

हालंकि, अजित पवार को एमएससी बैंक मामले में जांच एजेंसी ने अभी तक पूरी तरह क्लीन चिट नहीं दी है. एनसीपी के भीतर सोच यह है कि अजित नवंबर 2019 में लिए गए अपने दुस्साहस कदम को दोबारा नहीं दोहराएंगे. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 28 मार्च को कथित रूप से 25,000 करोड़ रुपये के एमएससी बैंक धोखाधड़ी मामले में चार्जशीट पेश की थी. केंद्रीय जांच एजेंसी ने चार्जशीट में अजीत पवार और उनकी पत्नी सुनेत्रा पवार का नाम हटा दिया है.

अजीत पवार ने 2019 में जबरदस्त गुगली फेंकी थी. तब उनके चाचा दिग्गज नेता शरद पवार महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के तीन दलों के बीच गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे थे. राजभवन में आनन-फानन में आयोजित समारोह में उन्होंने बीजेपी के साथ गठबंधन सरकार बनाने के लिए उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी.

देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. हालांकि, अजीत पलट गए और कुछ ही दिनों में ये सरकार भी गिर गई. तब एनसीपी के लगभग सभी विधायक जिन्होंने उनका समर्थन किया था, उनमें से कुछ ने शरद पवार से शिकायत की कि उन्हें अपने भतीजे का समर्थन करने के लिए मजबूर किया गया था. तब से शरद पवार ने महत्वपूर्ण फैसलों में सुप्रिया सुले और अन्य नेताओं को शामिल करना शुरू कर दिया है.

सियासत में कुछ भी अंतिम नहीं होता. नेताओं के पाला बदलने का खेल चलता रहता है. अजीत तो इसकी बानगी रहे हैं. 2024 आम चुनाव भी नजदीक हैं और बीजेपी और मोदी की ताकत लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में अजीत के बीजेपी का जाने की खबर को खारिज भी नहीं किया जा सकता.

महाराष्ट्र में इन दिनों सियासी हलचल भी खूब मची हुई है. अजीत पवार ने बुधवार 12 मार्च को ही सीएम शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की है. हालांकि, मुलाकात किसानों के मुद्दे पर होना बताई गई, लेकिन इस बहाने सियासत की किस चाल पर बात हुई हो, मौजूदा हालात में ये अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल भी नहीं है.

वहीं, अजीत को शिवसेना (उद्धव बाल ठाकरे) के नेता संजय राउत ने नसीहत भी दी है. राउत ने कहा कि अजीत पवार का भविष्य राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ उज्ज्वल है और वह बीजेपी में शामिल नहीं हो सकते हैं. बुधवार को मीडिया से बातचीत में संजय राउत ने कहा कि एनसीपी नेता अजीत पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं.

मुझे नहीं लगता कि वह ऐसी चीजें करेंगे और उनके (बीजेपी) साथ जाएंगे. एनसीपी के साथ उनका भविष्य उज्ज्वल है. इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है. वह उनके साथ नहीं आएंगे और बीजेपी के गुलाम नहीं बनेंगे. हमें एनसीपी नेता अजीत पवार पर पूरा भरोसा है.

संजय राउत ने कहा कि आने वाले दिनों में अजीत पवार और नाना पटोले से चर्चा की जाएगी. 16 मई को हमारी नागपुर में एक रैली है और उस रैली से पहले हम उनके साथ बात करेंगे. कई मुद्दे हैं. हमारा कनेक्शन फेविकोल की तरह है, इसे कोई अलग नहीं कर सकता. इसमें कोई भ्रम नहीं है.


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