भाजपा जितिन के सहारे क्या यूपी चुनाव में ब्राह्मणों की नाराजगी दूर कर पाएगी!

उत्तर प्रदेश में काफी समय से योगी सरकार पर ब्राह्मणों की ‘उपेक्षा’ करने के आरोप लगते आ रहे हैं. ऐसे में चुनाव नजदीक है पार्टी ब्राह्मणों को नाराज करना नहीं चाहती थी. ‘भाजपा को एक ऐसे युवा ब्राह्मण चेहरे की तलाश थी जो कम से कम विधानसभा चुनाव तक साथी बन जाए’? बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद जहां कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है वहीं बीजेपी के लिए जितिन कितने फायदेमंद साबित होने वाले हैं, यह तो भविष्य बताएगा.

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो जितिन के जरिए बीजेपी की कोशिश यूपी में ब्राह्मणों की नाराजगी दूर करने की होगी, साथ ही उन्हें बीजेपी में बड़ी भूमिका भी मिल सकती है? यहां हम आपको बता दें कि काफी समय से जितिन प्रसाद ब्राह्मणों के हक में आवाज उठा रहे हैं. हालांकि प्रदेश नेतृत्व से उन्हें समर्थन नहीं मिल रहा था. यही वजह थी कि जब जितिन ने ‘ब्रह्म चेतना संवाद’ कार्यक्रम की घोषणा की तो कांग्रेस ने इससे ‘किनारा’ कर लिया था.

इसकी वजह से जितिन का राजनीतिक ग्राहक भी गिरता चला गया . आइए जानते हैं जितिन प्रसाद के बारे में. जितिन के पिता जितेंद्र प्रसाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और नरसिम्हा राव के सलाहकार भी रह चुके थे. इसके साथ ही वह कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी रह चुके थे. जितिन प्रसाद के दादा ज्योति प्रसाद भी कांग्रेस के नेता थे. उनकी परनानी पूर्णिमा देवी नोबेल विजेता रबिंद्रनाथ टैगोर के भाई हेमेंद्रनाथ टैगोर की बेटी थीं.

बता दें कि जितेंद्र प्रसाद भी साल 2000 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव में सोनिया गांधी के खिलाफ लड़े थे, हालांकि वह हार गए थे. उसके एक साल बाद 2001 में जितेंद्र प्रसाद की मृत्यु हो गई थी.

उसी साल जितिन प्रसाद युवा कांग्रेस में सचिव बने. 2004 में अपने गृहनगर शाहजहांपुर से लोकसभा चुनाव जीत गए. मनमोहन सरकार में 2008 में जितिन को केंद्रीय राज्यमंत्री बनाया गया. उसके बाद साल 2009 में ‘धौरहरा’ कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीत गए.

फिर उन्हें मनमोहन सरकार में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के बाद मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय, में केंद्रीय राज्यमंत्री रहें हैं. लेकिन वर्ष 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव धौरहरा से वह जीत नहीं सके.

इसके साथ उन्हें पार्टी से भी ‘साइडलाइन’ करने के आरोप लगे. जितिन प्रसाद पिछले काफी समय से गांधी परिवार से ‘नाराज’ भी चल रहे थे. अभी हाल ही में हुए बंगाल चुनाव में कांग्रेस के राज्य प्रभारी भी थे. ‘राजनीतिक के जानकारों का कहना है कि जितिन के आने से भाजपा को उत्तर प्रदेश में कोई खास फायदा नहीं होगा, लेकिन कांग्रेस को इसका नुकसान जरूर उठाना पड़ेगा’.

कांग्रेस ने उन्हें पश्चिम उत्तर प्रदेश में ‘ब्राह्मण चेहरेे’ के तौर पर उतारा था लेकिन वह पार्टी के लिए कोई खास लाभ नहीं पहुंचा पाए. ‘भाजपा में शामिल होने के बाद जितिन प्रसाद ने कहा कि मेरा कांग्रेस पार्टी से तीन पीढ़ियों का साथ रहा है, मैंने ये महत्वपूर्ण निर्णय बहुत सोच, विचार और मंथन के बाद लिया है.

सवाल ये नहीं है कि मैं किस पार्टी को छोड़कर आ रहा हूं, बल्कि सवाल ये है कि मैं किस पार्टी में जा रहा हूं और क्यों जा रहा हूं, पिछले 8-10 वर्षों में मैंने महसूस किया है कि अगर कोई एक पार्टी है जो वास्तव में राष्ट्रीय है, तो वह भाजपा है’.

अन्य दल क्षेत्रीय हैं, लेकिन यह राष्ट्रीय दल है, आज देश जिस स्थिति से गुजर रहा है उससे निपटने को कोई नेता देश के हित के लिए खड़ा है, तो वह भाजपा और नरेंद्र मोदी हैंं’. फिलहाल राहुल गांधी का करीबी और एक ब्राह्मण नेता के रूप में जितिन प्रसाद को शामिल करके भाजपा के खेमे में ‘मिशन 22’ को लेकर खुशियां छाई हैं.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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