काफी समय से खामोश बैठी बसपा प्रमुख मायावती ने धीरे-धीरे अपने ‘पत्ते’ खोलने शुरू कर दिए हैं. कुछ दिनों पहले पंजाब में अकाली दल से गठबंधन करने के बाद अब मायावती उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव को लेकर ‘सक्रिय’ हो गईं हैं.
यूपी में चुनाव से पहले बसपा को एक ऐसे मजबूत ‘साथी’ की तलाश है जो समाजवादी पार्टी के वोट बैंक (मुस्लिम वर्ग) में सेंध लगा सके. यहां हम आपको बता दें कि बसपा में एक समय नसीमुद्दीन सिद्दीकी मुस्लिम समुदाय के सबसे बड़ा ‘चेहरा’ हुआ करते थे. तब बहुजन समाजवादी पार्टी के पास मुस्लिमों का भी एक अच्छा ‘जनाधार’ था.
सिद्दीकी के बसपा से जाने के बाद मायावती के पास मुसलमानों को ‘रिझाने’ के लिए इस समुदाय से कोई बड़ा नेता नहीं बचा है. इसी को देखते हुए बसपा ने अब असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन एआईएमआईएम की ओर ‘हाथ’ बढ़ाया है.
दूसरी ओर सांसद ओवैसी भी पिछले कई महीनों से यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी सियासी जमीन तलाशने में लगे हुए हैं. ’दलित वर्ग में अपनी सियासी ताकत बढ़ाने के लिए ओवैसी को भी बीएसपी सुप्रीमो मायावती के साथ की जरूरत है’.
एआईएमआईएम के ओवैसी बीते महीनों से यूपी में एक नया गठबंधन बनाने के लिए ओम प्रकाश राजभर और शिवपाल यादव से भी ‘दो बार मुलाकात’ कर चुके हैं. बता दें कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर असदुद्दीन ओवैसी विधानसभा चुनाव को लेकर एक साथ आने की चर्चा चली आ रहीं हैं.
‘सियासी दांवपेच के बीच ये भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि यदि चाचा-भतीजे विधान सभा चुनाव से पहले एक साथ नहीं आते हैं तो इस स्थिति में शिवपाल यादव और ओवैसी एक मंच पर नजर आ सकते हैं’ ? ‘अब बसपा और एआईएमआईएम का गठबंधन होता है तो शिवपाल यादव किधर जाएंगे ? बता दें कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान सपा-बसपा ने गठबंधन करके चुनाव लड़ा था. अखिलेश और मायावती दोनों एक दूसरे के लिए चुनाव प्रचार करते भी दिखाई दिए थे.
अगर ‘ओवैसी बहुजन समाजवादी पार्टी के साथ प्रगतिशील समाजवादी पार्टी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को साथ लेकर विधानसभा चुनाव में उतरते हैं तो अखिलेश के चाचा शिवपाल सिंह यादव मायावती के साथ खड़े नजर आ सकते हैं’.
‘एआईएमआईएम यूपी के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने कहा कि बसपा से गठबंधन को लेकर दोनों पार्टी के नेताओं के बीच बातचीत चल रही है’. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में 403 विधानसभा सीटें हैं, पिछली बार साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीएसपी कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाई थी, पार्टी ने विधान सभा की सभी सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन उसके खाते में महज 19 सीटें ही आ पाई थींं. मौजूदा समय में 11 विधायक बसपा छोड़ चुके हैंं, मायावती के पास इस समय सात विधायक ही बचे हैं.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार