दिल्ली में महामंथन: भाजपा का फीका पड़ता सियासी जादू तो मोहन भागवत के नेतृत्व में संघ ने संभाली कमान

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लग रहा है कि भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर योगी मंत्रिमंडल विस्तार पर भाजपा हाईकमान क्यों इस बार फैसला नहीं ले पा रहा है? इसके साथ बंगाल में चुनाव से पहले टीएमसी छोड़कर भाजपा में आए नेताओं की घर वापसी को लेकर पीएम मोदी की चिंताएं बढ़ा दी हैं.

केंद्रीय नेतृत्व को भी अब लग रहा है कि भाजपा का जादू ‘फीका’ होता जा रहा है. इसी को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता दिल्ली से लेकर लखनऊ तक ‘मोर्चा’ संभाले हुए हैं. संघ के शीर्ष नेता लगातार बैठक कर भाजपा के ‘भविष्य’ के लिए रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं.

यानी कह सकते हैं कि ‘भाजपा हाईकमान भी संघ की शरण में है’. इसी को लेकर आज राजधानी दिल्ली में मोहन भागवत के नेतृत्व में तीन दिनी ‘महामंथन’ शुरू हो गया है. बता दें कि पश्चिम बंगाल में चुनाव नतीजे और कोरोना महामारी के बाद ‘भाजपा का ग्राफ लगातार गिरता चला गया’.

भाजपा की उम्मीदों और रणनीति पर पश्चिम बंगाल के चुनाव नतीजों ने पूरी तरह ‘पानी फेर दिया’. इसका सीधा असर पीएम मोदी और पार्टी के ‘चाणक्य’ माने जाने वाले अमित शाह पर पड़ा है. भाजपा की बड़ी से बड़ी मुश्किलों को अपने ‘शह-मात’ के खेल से सुलझाने वाले गृहमंत्री अमित शाह ‘मौन’ की मुद्रा में आ गए हैं. पिछले एक महीने से शाह ने कोई बड़ा राजनीतिक बयान भी नहीं दिया है.

दूसरी ओर पीएम मोदी कोरोना महामारी से बिगड़े सिस्टम को लेकर विपक्ष के निशाने पर हैं. इसके अलावा बंगाल चुनाव में टीएमसी की बड़ी जीत के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार प्रधानमंत्री मोदी को घेरने में जुटी हुई हैं. ‘बंगाल के जख्मों का असर सीधे ही उत्तर प्रदेश पर भी पड़ा है, क्योंकि यहां भी आठ महीने के भीतर होने वाले विधानसभा चुनाव की दस्तक शुरू हो चुकी है’.

योगी सरकार में भी कई दिनों से उथल-पुथल मची हुई है लेकिन पीएम मोदी, अमित शाह और पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा अभी तक न यूपी गए हैं और न यह समझ पा रहे हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव तक योगी सरकार को जनता के सामने किस रूप में ‘प्रकट’ किया जाए. उत्तर प्रदेश में भी ‘महामारी के दौरान खराब हेल्थ सिस्टम मुख्यमंत्री योगी पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं, जिससे लोगों की योगी सरकार के प्रति भारी नाराजगी व्याप्त है’.

2014 के बाद भाजपा हाईकमान के साथ रणनीतिकार पहली बार किसी राज्य (यूपी) को लेकर अधिक बैठक पर बैठक करने में लगा हुए हैं. लेकिन फिर भी अपने फैसले पर नहीं पहुंच पा रहे हैं. भाजपा और योगी सरकार के लिए सब कुछ ‘दुरुस्त’ करने के लिए पिछले दिनों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और पार्टी के संगठन के नेताओं ने ‘कमान’ अपने हाथों में ले ली है.

पहले संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय हसबोले उसके बाद भाजपा के महासचिव संगठन बीएल संतोष ने मुख्यमंत्री योगी और उनके मंत्रियों को ‘खंगाल’ डाला है. उसके बाद इन संघ के नेताओं ने योगी सरकार की जो ‘रिपोर्ट’ तैयार की है वह ‘संतोषजनक’ नहीं कही जा सकती है.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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