अब एक बार फिर मोदी सरकार और ममता बनर्जी के बीच चीफ सेक्रेटरी को लेकर ‘तनातनी’ बढ़ गई है. यह ‘दूसरा’ मौका है जब केंद्र सरकार के आदेश के बाद भी बंगाल के कोई प्रशासनिक अफसर दिल्ली नहीं पहुंचे हैं. इससे पहले भी पिछले वर्ष दिसंबर महीने में केंद्र ने बंगाल के कई अफसरों को दिल्ली तलब किया था लेकिन वह भी नहीं पहुंचे थे.
तीन दिनों से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी और मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को केंद्र के दिल्ली तलब की जाने को लेकर टीएमसी और बीजेपी केेे बीच टकराव चला आ रहा है. बंगाल के चीफ सेक्रेटरी बंदोपाध्याय को केंद्र सरकार के तय समय के अनुसार राजधानी दिल्ली में सोमवार सुबह 10 बजे तलब किया था. लेकिन मुख्य सचिव अलपन केंद्र सरकार के आदेश को ‘धता’ बताकर कोलकाता में ही ममता बनर्जी के साथ बैठक करने में व्यस्त रहे.
बंगाल सरकार ने उन्हें ‘रिलीव’ नहीं किया है. बता दें कि ममता सरकार ने केंद्र सरकार के द्वारा अपने मुख्य सचिव को दिल्ली तलब किए जाने पर आपत्ति जता रही है. लेकिन मोदी सरकार ममता सरकार की आपत्तियों को दरकिनार कर अलपन बंधोपध्याय को दिल्ली बुलाने पर ‘अड़ी’ हुई थी. लेकिन आज ‘मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार से स्पष्ट कह दिया कि हम अपने चीफ सेक्रेटरी को दिल्ली भेजने में असमर्थ हैं.
इसके लिए बाकायदा दीदी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘चिट्ठी’ भी लिखी है. ममता ने अपनी चिट्ठी में कई नियमों और संविधान का हवाला देते हुए चीफ सेक्रेटरी के ‘ट्रांसफर’ को गलत करार दिया है. ममता ने साफ इनकार कर दिया है कि राज्य सरकार इस संकट के समय में अपने चीफ सेक्रेटरी को नहीं छोड़ सकती है और नहीं छोड़ रही है. उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बंगाल में चक्रवात ‘यास’ से हुए नुकसान का जायजा लेने गए थे.
पीएम मोदी की मीटिंग के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, चीफ सेक्रेटरी अलपन बंदोपाध्याय पहले तो काफी देरी से पहुंचे और उसके बाद तुरंत निकल गए. इसी के बाद केंद्र ने चीफ सेक्रेटरी पर ‘एक्शन’ लेना शुरू किया.
बंगाल में पीएम मोदी की समीक्षा बैठक में ‘इंतजार’ कराने को लेकर भाजपा और टीएमसी नेताओं के बीच ‘जुबानी जंग’ भी हो चुकी है. बंदोपाध्याय को दिल्ली बुलाए जाने पर राज्य में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने इस कदम को ‘जबरन प्रतिनियुक्ति’ करार दिया था.