एक नज़र इधर भी

विशेष: हम हंसना क्यों भूल गए ! खुशहाल रहने के लिए हमें फिनलैंड से सीखना होगा

फिनलैंड
Advertisement

आज हम एक ऐसे देश के बारे में आपसे बात करेंगे जो दुनिया भर में एक बार फिर सबसे ‘खुशहाल’ बन गया है. इस देश के लोग कितने प्रसन्न रहते हैं यह भारतीयों को भी सीखना होगा. परिस्थिति चाहे कितनी भी जटिल क्यों न हो लेकिन हमें हर हाल में उसके अनुकूल ढालते हुए अपने आप को प्रत्येक दिन जीवन का आनंद उठाते हुए आगे बढ़ना होगा, लेकिन हम छोटे-मोटे मामलों में ही उलझ कर जीवन का महत्वपूर्ण समय बर्बाद कर देते हैं.

जबकि हम खुशियों के पलों में भी मुस्कुराते हुए नहीं दिखाई पड़ते . जी हां आज हमारी स्टोरी लोगो के रहन-सहन और खुशहाली पर ही आधारित है . हम चर्चा करने जा रहे हैं यूरोपीय देश फिनलैंड की जिसकी राजधानी हेलसिंकी है. यह वही देश है जहां की मोबाइल कंपनी ‘नोकिया’ थी.

एक समय नोकिया के मोबाइल फोन ने पूरे दुनिया भर में कई वर्षों तक अपना ‘एकछत्र’ राज किया था . अब एक बार फिर फिनलैंड ने दुनिया का ध्यान आकर्षित किया हैै .

यहां के लोग सबसे ज्यादा खुश होकर अपना जीवन बिता रहे हैं . 19 मार्च शुक्रवार को वर्ल्ड हैप्पीनेस की रिपोर्ट में विश्व के सबसे खुशहाल देश होने का फिनलैंड ने एक बार फिर ‘खिताब’ जीता. बता दें कि लगातार चौथी साल फिनलैंड सबसे खुशहाल देश बना है. ‘कोरोना संकटकाल के दौरान भी फिनलैंड के लोग सबसे अधिक खुश रहे’.

महामारी के बीच फिनलैंड में लोगों के बीच आपसी विश्वास देखा गया. यहां के बीच लोगों में एक-दूसरे का जीवन बचाने और मदद करने का अपनापन देखा गया. फिनलैंड ने महामारी में दुनिया को बताया है कि पूंजी से ज्यादा जोर स्वास्थ्य पर देना होगा.

यहां हम आपको बता दें कि वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट के लिए गैलप डेटा का इस्तेमाल किया गया. गैलप ने 149 देशों में लोगों से अपनी हैप्पीनेस को रेट करने को कहा था. इसके अलावा इस डेटा में जीडीपी, सोशल सपोर्ट, आजादी और भ्रष्टाचार का स्तर भी देखा गया और फिर हर देश को हैप्पीनेस स्कोर दिया गया.

सर्वे में शामिल एक तिहाई से अधिक देशों में कोरोना महामारी की वजह से नकारात्मक भावनाएं बढ़ी हैं. भारत में तो कोविड-19 को लेकर लोगों में डर और चिंता है इस कदर बढ़ गई कि देशवासी हंसना ही भूल गए .


शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

Exit mobile version