उत्तराखंड की सियासत का यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि मुख्यमंत्री के पद को लेकर भाजपा के साथ कांग्रेस भी पिछले 20 सालों से दुविधा में रही. इस बार भी वही हुआ जो पिछले चुनाव में होता आया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ही चुनाव हार गए. हालांकि भाजपा लगातार दूसरी बार सरकार बनाने जा रही है.
राज्य में ऐसा पहली बार हो रहा है जब एक पार्टी की सरकार दूसरी बार बन रही है. उत्तराखंड में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद अब सभी की जुबान पर एक ही नाम है कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा ? मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के खटीमा से हारने के बाद भाजपा हाईकमान के लिए एक बार फिर से सिरदर्दी बढ़ा दी है. शुक्रवार दोपहर पुष्कर सिंह धामी ने राज्यपाल से मिलकर अपना इस्तीफा भी सौंप दिया है. उसके बाद कयासों का दौर शुरू हो गया है.
फिलहाल चर्चा दोनों है कि हाईकमान धामी को उत्तराखंड का सिंहासन की चाबी सौंप सकते हैं? दूसरी ओर भाजपा के कई नेताओं के नामों की भी चर्चा शुरू हो गई है. लेकिन इन सबके बीच सबसे दुर्भाग्य पुष्कर सिंह धामी का रहा. धामी ने भाजपा को तो जिताया लेकिन अपनी सीट नहीं बचा सके.
उत्तराखंड में बीजेपी राज्य में लगातार दूसरी बार सत्ता में आई लेकिन सीएम पुष्कर सिंह धामी उस मिथक को तोड़ने में नाकामयाब रहे जिसके लिए उत्तराखंड जाना जाता है. पहले भुवन चंद्र खंडूरी, फिर हरीश रावत और अब पुष्कर सिंह धामी भी मुख्यमंत्री रहते चुनाव हार गए.
सीएम पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड की खटीमा सीट से चुनाव हार गए, उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी भुवन कापड़ी ने लगभग 6000 वोटों से हराया है. 70 सीटों वाली उत्तराखंड विधानसभा में बीजेपी ने 47 सीटें जीती हैं और स्पष्ट बहुमत हासिल किया है.