कोरोना वायरस संक्रमण की मार झेल रही दुनिया को बेसब्री से वैक्सीन का इंतजार है. इस पर कई देशों में काम चल रहा है और ट्रायल अंतिम चरण में होने की बात कही जा रही है. दुनिया की नजरें ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के वैक्सीन पर टिकी है, जिसने पिछले दिनों फेज-3 के अंतरिम आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर इसे 90 प्रतिशत प्रभावी बताया था और कहा था कि यह 90 प्रतिशत तक प्रभावी हो सकता है.
लेकिन इस वैक्सीन से बंधी उम्मीदों को बड़ा झटका चेन्नई के एक शख्स के दावे से लगा है, जिसका कहना है कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और फर्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ का उस पर नकारात्मक असर हुआ है.
इस शख्स ने 1 अक्टूबर को चेन्नई में श्री रामचंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च में परीक्षण के दौरान ‘कोविशील्ड’ लगवाया था. 40 वर्षीय शख्स ने टीका लगवाने के बाद वर्चुअल न्यूरोलॉजिकल ब्रेकडाउन और सोचने-समझने की क्षमता कमजोर होने की शिकायत करते हुए पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) और टीका लगाने वाले संस्थान को कानूनी नोटिस भेजकर 5 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा है.
साथ ही टीके के परीक्षण पर रोक लगाने की मांग की है. ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका भारत में इस दवा का परीक्षण सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सहयोग से कर रही है.
‘कोविशील्ड’ के परीक्षण को असुरक्षित करार देते हुए शख्स ने इसकी टेस्टिंग, निर्माण और वितरण की मंजूरी रद्द करने की भी मांग की और ऐसा न करने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी. व्यक्ति ने आरोप लगाया कि टीका लगवाने के बाद उसे मस्तिष्क विकृति व अन्य मनौवैज्ञानिक समस्याओं से जूझना पड़ा और वह अब भी पूरी तरह ठीक महसूस नहीं कर रहे हैं. उसने जांचों से इसकी पुष्टि होने की बात कही है कि उसे ‘कोविशील्ड’ लगाए जाने के कारण ही समस्या हुई, जिसका इलाज अब भी चल रहा है.
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने हालांकि आरोपों को खारिज करते हुए स्वयंसेवक के इरादों पर सवाल उठाए. संस्थान की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया स्वयंसेवक की चिकित्सकीय स्थिति को देखते हुए उसके साथ सहानुभूति रखता है, लेकिन टीका परीक्षण और उसकी चिकित्सकीय स्थिति में कोई संबंध नहीं है. वह अपनी चिकित्सकीय समस्याओं के लिए परीक्षण पर गलत आरोप लगा रहे हैं.’
संस्थान के अनुसार, ‘यह दावा दुर्भावनापूर्ण है. स्वयंसेवक को चिकित्सकों की टीम ने बताया था कि उन्हें जिन जटिलताओं का सामना करना पड़ा था, उनका संबंध टीका परीक्षण से नहीं है.
इसके बावजूद उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कंपनी की प्रतिष्ठा को आघात पहुंचाने को चुना. हम इसी के लिए 100 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान की मांग करेंगे और ऐसे दुर्भावनापूर्ण दावों को गलत ठहराएंगे.’
साभार- टाइम्स नाउ