देहरादून|कोरोना के कारण हजारों-लाखों की संख्या में युवा बेरोजगार हो गए और नौकरी गंवा कर पहाड़ लौट आए. अब सरकार की कोशिश है कि इन युवाओं को प्रदेश में ही रोजगार के अवसर दिए जाएं, उन्हें स्वावलंबी बनाया जाए.
इसी उद्देश्य के लिए उत्तराखंड सरकार एक नया कानून लागू करने की तैयारी में है. इसके तहत प्रदेश में लगने वाले उद्योगों में 70 फीसदी नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित होंगी. ऐसा होने पर राज्य के लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.
हरियाणा सरकार ने भी प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में अपने राज्य के लोगों को 75 फीसदी आरक्षण देने के बिल को मंजूरी दी है. उत्तराखंड में भी ऐसे ही प्रयास किए जा रहे हैं. हाल में श्रम एवं रोजगार विभाग की समीक्षा बैठक में ये मुद्दा उठा था.
जिसके बाद सीएम रावत ने इस संबंध में प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए. प्रस्ताव तैयार करने की जिम्मेदारी उद्योग विभाग को दी गई है.
बाद में इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए कैबिनेट के सामने पेश किया जाएगा. योजना परवान चढ़ी तो पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.
नीय युवा को नौकरी के लिए शहर नहीं जाना पड़ेगा. वो अपने घर-गांव के करीब रहकर जॉब हासिल कर सकेंगे, जिससे पलायन रुकेगा. इस वक्त प्रदेश में उद्योगों की क्या स्थिति है, ये भी जान लें. वर्तमान में यहां 327 हैवी इंडस्ट्री, 64619 सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग हैं.
इनमें कुल 4 लाख 35 हजार लोगों को रोजगार मिला हुआ है. इन उद्योगों में कुल 51 हजार 511 करोड़ रुपये का निवेश है. राज्य सरकार युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए हर जरूरी प्रयास कर रही है.
इसी कड़ी में उद्योगों में स्थानीय युवाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की जा रही है. सीएम रावत ने कहा कि हम चाहते हैं कि उत्तराखंड के युवा बड़ी संख्या में यहां खुली इंडस्ट्रियों से लाभ उठाएं. इससे रोजगार के बेहतर अवसर के साथ ही काफी कुछ सीखने को मिलेगा, जिससे भविष्य में भी कई दरवाजे खुलेंगे.