उत्तराखंड के एक प्रसिद्ध गुरुद्वारे के दौरे पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के स्वागत में ‘मर्यादा टूटने’ के मामले में नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चार सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया.
पिछले हफ्ते धामी राज्य के एक गुरुद्वारे में जब गए थे, तब वहां उनके स्वागत स्कूली छात्राओं ने लोकनृत्य की प्रस्तुति दी थी और गुरुद्वार परिसर में भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में नारेबाज़ी हुई थी. यह दावा करते हुए गुरुद्वारा कमेटी ने नाराज़गी जताई और सिख श्रद्धालुओं ने कहा कि इस पूरे एपिसोड से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुईं.
सिखों की शीर्ष संस्था अकाल तख्त ने यह विवाद गहराने पर धार्मिक स्थल की पवित्रता का अनादर करने के बारे में जांच के लिए तीन सदस्यों का पैनल भेजा था. समाचार एजेंसी पीटीआई की खबर के अनुसार इस कवायद के बाद गुरुद्वारा कमेटी के चार लोगों के इस्तीफे की खबर आई. बुधवार को जिन चार सदस्यों ने इस्तीफा दिया, उनमें नानकमत्ता साहिब कमेटी के सेवा सिंह भी शामिल हैं. आखिर हुआ क्या था?
क्या है विवाद? ऊधमसिंह नगर ज़िले के दौरे के दौरान सीएम धामी 24 जुलाई को रुद्रपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर स्थित नानकमत्ता गुरुद्वारे में गए थे. यूएसनगर में स्थित खटीमा धामी का विधानसभा क्षेत्र भी है और यहां वह विकास कार्यों के शिलान्यास कार्यक्रम में आए थे. इस दौरान धामी मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार अपने मंत्रियों व विधायकों के साथ गुरुद्वारे में पहुंचे थे, जहां उनका ज़ोरदार स्वागत कार्यक्रम आयोजित किया गया. तो स्वागत कार्यक्रम पर धार्मिक भावनाएं कैसे आहत हुईं?
रिपोर्ट की मानें तो धामी के स्वागत में स्कूल की छात्राओं ने उत्तराखंड के लोकनृत्यों की प्रस्तुति दी और गुरुद्वारा परिसर में बीजेपी के समर्थन में भारी नारेबाज़ी हुई. शोर इतना बढ़ा कि गुरुद्वारे में लगातार होने वाली गुरुबानी को भी कुछ देर के लिए रोकने की नौबत आई. यह पूरा आयोजन सिख श्रद्धालुओं को नहीं सुहाया तो उन्होंने अमृतसर स्थित अकाल तख्त में इस मामले की शिकायत की थी और पवित्र स्थल के अनादर के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने के नानकमत्ता में श्रद्धालुओं ने प्रदर्शन भी किया था. इसके बाद कार्रवाई हुई.
इस मामले में गुरुद्वारा कमेटी के जिन चार लोगों को इस्तीफा देना पड़ा है, उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए 15 दिनों का समय दिया गया है. अकाल तख्त ने यह मोहलत दी है और इनके जवाब के बाद ही अंतिम कार्रवाई की जाएगी. वहीं, फिलहाल ऐतिहासिक गुरुद्वारे के प्रबंधन के लिए पांच सदस्यों का एक पैनल बना दिया गया है.
साभार-न्यूज 18