लखनऊ| यूपी बीजेपी में अब बड़े सांगठनिक बदलाव होने जा रहे हैं. इनमें यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पद पर नए व्यक्ति को मौका मिलना तय है, तो वहीं यूपी संगठन की सबसे अहम कड़ी महामंत्री संगठन सुनील बंसल को राष्ट्रीय संगठन में जगह दी जा सकती है.
बीजेपी सूत्रों की मानें तो सुनील बंसल ने खुद यूपी से जाने की इच्छा जताई है. उनको को यूपी में आठ साल हो चुके हैं. इसके लिए सुनील बंसल ने अमित शाह, होसबोले दत्तात्रेय समेत कई दिग्गजों से मुलकात भी की है.
वहीं, यूपी महामंत्री संगठन की रेस में धर्मपाल सिंह और चंद्रशेखर के नाम बताए जा रहे हैं. बता दें कि यूपी में महामंत्री संगठन के पद पर आरएसएस की पृष्ठभूमि वाले नेता की तैनाती की जाती है.
हालांकि पार्टी के एक धड़े का मानना है कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले सुनील बंसल को यूपी से दिल्ली बुलाना पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. वह अगर दिल्ली गए तो उनको 2023 में एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे चुनावी राज्यों की सांगठनिक कमान दी जा सकती है. वहीं, बंसल के ऊपर यूपी के सांगठनिक जिम्मेदारी भी दी जाएगी. दरअसल बीजेपी सुनील बंसल को यूपी से एकदम अलग करने का जोखिम नहीं उठाएगी.
यूपी के महामंत्री संगठन सुनील बंसल ने यूपी में 2014 लोकसभा चुनावों के दौरान अमित शाह के साथ यूपी संगठन को दुरूस्त करते हुए चुनावी रणनीति सेट की थी. यही नहीं, उन्होंने यूपी महामंत्री संगठन पद पर तैनाती से पहले एबीवीपी और आरएसएस में लंबे समय तक काम किया.
सुनील बंसल ने 2014 लोकसभा चुनाव के बाद 2017 यूपी विधानसभा, 2019 लोकसभाचुनाव और फिर 2022 के विधानसभा चुनावों में प्रचंड जीत दिलाने का काम किया है.
बता दें कि यूपी में 2014 से पहले पार्टी संगठन की स्थिति बहुत दयनीय थी, लेकिन सुनील बंसल ने बूथ स्तर पर संगठन के ढांचे को मजबूत किया. यही वजह है कि उनकी बूथ से लेकर प्रदेश स्तर तक संगठन पर मजबूत पकड़ मानी जाती है.
सुनील बंसल की जगह धर्मपाल सिंह और चंद्रशेखर को यूपी कमान मिल सकती है. दरअसल धर्मपाल सिंह यूपी और उत्तराखंड में एबीवीपी में लंबे समय तक काम कर चुके हैं. वहीं, राजस्थान में महामंत्री संगठन की जिम्मेदारी संभाल रहे चंद्रशेखर को यूपी लाया जा सकता है.
वह यूपी के ही रहने वाले हैं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय संगठन मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. 2014 लोकसभा चुनावों में अमित शाह के साथ चन्द्रशेखर ने पार्टी में काम किया है. यही वजह रही कि राजस्थान में कई वर्षों से खाली चल रहे महामंत्री संगठन के पद पर उनको भेजा गया.