देहरादून| पहाड़ की नारी की चिंता, बुजुर्गों का दर्द, पलायन और लोक जीवन के तमाम अनछुए पहलुओं को अपने गीतों के माध्यम से बयां करने वाले उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी को शनिवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने संगीत नाटक अकादमी सम्मान से सम्मानित किया.
उन्हें उत्तराखंड में लोक संगीत क्षेत्र में कार्य करने के लिए यह सम्मान दिया गया है. विज्ञान भवन में हुए समारोह में 44 अन्य हस्तियों को भी यह सम्मान दिया गया. उनके साथ समारोह में पत्नी ऊषा नेगी भी मौजूद रहीं.
नरेंद्र सिंह नेगी को वर्ष 2018 का संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया है. उनके साथ कला और साहित्य क्षेत्र की 44 अन्य हस्तियों को भी यह पुरस्कार दिया गया है.
13 अप्रैल का नई दिल्ली में ही नेगीदा की एक प्रस्तुति भी होनी है. पारंपरिक लोक संगीत के क्षेत्र में दस कलाकारों का चयन किया गया है, जिनमें नरेंद्र सिंह नेगी भी शामिल हैं. इस सम्मान के तहत उन्हें एक लाख की राशि, अंगवस्त्र और ताम्रपत्र भी दिया गया.
लोक संस्कृति को लेकर गाए गीत
अगस्त 1949 को पौड़ी में जन्मे नरेंद्र सिंह नेगी ने जीवन शैली, संस्कृति, राजनीति को लेकर कई गीत गाए. 1974 में पहली गढ़वाली रचना मेरा सदानि इनि दिन रैना शुरू की.
1977-88 में यह सफर रेडियो के साथ आगे बढ़ा. नए गायकों के आने के बावजूद उत्तराखंड के लोग नरेंद्र सिंह नेगी के गाने को उसी प्यार और सम्मान के साथ आज भी सुनते हैं, जो वर्षों पहले था.
नरेंद्र सिंह नेगी के गानों की खास बात यह है कि उनमें यहां के लोगों के जीवन दुख-दर्द, सुखी जीवन के पहलुओं को दर्शाया है. नरेंद्र सिंह नेगी अब तक लगभग 300 से अधिक गीत गा चुके हैं.
संगीत के क्षेत्र की शुरुआत उन्होंने गढ़वाली गीतमाला से की थी. उन्होंने गढ़वाली फिल्म चक्रचाल, घरजवैं, मेरी गंगा होली त मैंमा आली आदि फिल्मों में आवाज दी. छुंयाल, दगड्या, घस्यारी, हल्दी हाथ समेत कई एलबम में कार्य किया.