नैनीताल हाईकोर्ट ने मंगलवार को रावत सरकार को तगड़ा झटका दिया. कोर्ट ने पत्रकार उमेश जे कुमार के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमों को निरस्त करने का आदेश दिया.
साथ ही उमेश की याचिका में लगाए आरोपों के आधार पर सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ लगे आरोपों को देखते हुए यह सही होगा कि सच सामने आए. यह राज्य हित में होगा कि संदेहों का निवारण ह
न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ ने मंगलवार को एक निजी समाचार चैनल के सीईओ उमेश की याचिका पर दिए फैसले में कहा कि याचिका (1187, उमेश जे कुमार बनाम उत्तराखंड राज्य, 2020) के पैरा आठ में लगाए आरोपों के आधार पर सीबीआई एफआईआर दर्ज करे.
उमेश ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर अपने ऊपर देहरादून थाने में दर्ज मुकदमा निरस्त करने की मांग की थी. उनके खिलाफ सेवानिवृत्त प्रो. हरेंद्र सिंह रावत ने नेहरू कॉलोनी थाने में ब्लैकमेलिंग सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था.
कोर्ट ने उमेश की याचिका में की गई शिकायत का स्वत: संज्ञान लिया. कोर्ट ने आदेश के निष्कर्ष में कहा कि याचिका के पैरा आठ में लगाए आरोपों के आधार पर सीबीआई मुकदमा दर्ज करे.
याचिका के पैरा आठ की शिकायतों का निष्कर्ष में उल्लेख नहीं है. आदेश में कहा गया है कि उमेश की याचिका में लगाए आरोपों के आधार पर जांच का आदेश कोर्ट दे सकता है. सीएम रावत के खिलाफ लगे आरोपों की प्रकृति को देखते हुए यह जरूरी होगा कि सच सामने आए.
सीएम ने कहा न्यायालय का जो भी निर्णय आया है, उसका स्वागत है. किसी भी एजेंसी से जांच कराई जाए, हम तैयार हैं. पूरी पारदर्शिता के साथ न्यायालय के हर आदेश का पालन किया जाएगा.
हाईकोर्ट के फैसले से असहज प्रदेश सरकार अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है. सरकार फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) दायर कर सकती है. सूत्रों के मुताबिक, अदालत का फैसला आने के बाद इसे लेकर शासन स्तर पर गहन मंथन शुरू हो गया है.
उधर, सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड की एडवोकेट ऑन रिकार्ड वंशजा शुक्ला को तैयार रहने के लिए कहा गया है. उनके सहयोग के लिए एक उपमहाधिवक्ता को तैनात किया जाएगा. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हालांकि न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है.
लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि उन्होंने सरकार के विधि अधिकारियों को फैसले के आलोक में पूरी तैयारी रखने के लिए इशारा कर दिया है. मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के संकेत दिए हैं.
वर्ष 2020 में झूठी खबरें प्रकाशित कर सरकार को अस्थिर करने के मामले में पुलिस ने उमेश कुमार समेत चार लोगों पर मुकदमा दर्ज किया था. डिफेंस कालोनी निवासी डॉ. हरेंद्र सिंह रावत ने जुलाई 2020 को यह यह मुकदमा नेहरू कालोनी थाने में दर्ज कराया था.
शिकायत में उन्होंने एक वीडियो का हवाला दिया था, जिसमें झारखंड के निवासी अमृतेश चौहान नाम के व्यक्ति को गो सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाने के नाम पर घूस की धनराशि सीएम को भेजने की बातें कही गई थीं. इस आरोप को उन्होंने बेबुनियाद बता कर कार्रवाई करने को कहा था.
नैनीताल हाईकोर्ट ने रावत सरकार को दिया बड़ा झटका, दिए सीएम पर आरोपों के मामले में सीबीआई जांच के आदेश
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