देहरादून| कोरोना का डर कुछ समय पहले तक लोगों के जेहन से निकल गया था. लेकिन नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के बढ़ते संक्रमण के बाद एक बार फिर सभी राज्य सरकारें सर्तक होने लगी हैं. महामारी के कारण हुई कई परेशानियों से बचने के लिए अब सभी सरकारें चौकन्नी हो गई हैं ताकि एक फिर से पुरानी वाली स्थिति ना बन जाए. इस कड़ी में उत्तराखंड सरकार ने ओमिक्रॉन को देखते हुए नई गाइडलाइंस जारी की हैं.
नई गाइडलाइंस के अनुसार राज्य में बाहर से आने वाले लोगों के लिए कोविड टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया है. राज्य की सीमा में प्रवेश करने से पहले कोविड टेस्ट का प्रमाण देना होगा. यह नई व्यवस्था ओमिक्रॉन वैरिएंट के बढ़ते केसेज को देखते हुए की गई है. इसके अलावा प्रशासन को राज्य की सीमाओं पर कोविड टेस्ट करवाने की व्यवस्था करने के लिए भी कहा गया है ताकि कोई भी व्यक्ति बिना टेस्ट के राज्य में प्रवेश नहीं कर सके.
गौरतलब है कि हाल ही केंद्र सरकार ने भी विदेशों से आने वाले पर्यटकों के लिए नई गाइडलाइंस जारी की हैं. इसके अनुसार ट्रेवल डेट से 14 दिन पहले पैसेंजर्स को कोविड की नेगेटिव रिपोर्ट जमा करवानी होगी. इसके अलावा जिन देशों में ओमिक्रॉन के संक्रमित मिले हैं, वहां से आने वाले लोगों को इंडिया आने पर भी कोविड टेस्ट करवाना होगा और यदि पॉजिटिव पाए जाते हैं तो क्वेरेंटाइन रहना होगा.
उत्तराखंड की डीजी हेल्थ डॉ. तृप्ति बहुगुणा के अनुसार सभी जिलों को यह आदेश दिए गए हैं कि यदि किसी भी आने वाले नागरिक में कोविड का कोई भी लक्षण दिखता है तो तुरंत कोविड टेस्ट करवाया जाए. साथ ही यदि कोई पॉजिटिव निकलता है तो उसे 14 दिन क्ववेरेंटाइन किया जाए और उसे स्वाथ्य कर्मियों की निगरानी में रखा जाए. इसके अलावा सभी सीएमओ को भी निर्देश दिए गए हैं कि जो भी पर्यटक बाहर से आएं उनका राज्य की सीमा पर आरटी-पीसीआर कोविड 19 टेस्ट करवाया जाए.
दरअसल कोरोना महामारी के कम होने के बाद पर्यटन का रुझान एक बार फिर उत्तराखंड की तरफ बढ़ गया है और काफी संख्या में लोग यहां पहुंच रहे हैं. क्रिसमस और नए साल को देखते हुए राज्य में अधिकांश होटलें बुक हो गई हैं और पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
इसके अलावा शादियों के सीजन के कारण अधिकांश जोड़े उत्तराखंड की ओर ही रुख कर रहे हैं. ऐसे में सरकार के लिए एक तरफ यह व्यवसाय की दृष्टि से अच्छी बात है, वहीं दूसरी ओर महामारी के दौर में व्यवस्था बनाए रखने की भी दबाव है. यही कारण है कि उत्तराखंड सरकार ओमिक्रॉन के संकट पर अभी से नजर बनाए हुए है.