उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद भाजपा के सामने नए सीएम के नाम को लेकर मामला पेचीदा बना हुआ है. वहीं, उत्तराखंड में मुख्यमंत्री कौन बनेगा के सवाल पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बड़ा बयान दिया है.
उन्होंने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा कि मैं तो पहले ही लाइन में नहीं हूं, क्योंकि मैंने तो चुनाव ही नहीं लड़ा है. साथ ही कहा कि भाजपा का मुख्यमंत्री बनेगा और जोरदार बनेगा.
वहीं, इससे पहले उत्तराखंड के कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि 24 मार्च को विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो रहा है, एक प्रक्रिया के तहत कल सुबह 11 बजे नए विधायकों के शपथ ग्रहण का समारोह रखा गया है. जबकि भाजपा विधायक दल की बैठक कल शाम को होगी.
बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, राज्य के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और कार्यवाहक सीएम पुष्कर सिंह धामी दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. यह तीनों दिग्गज नेता शनिवार को दिल्ली आए थे. इसके अलावा रमेश पोखरियाल निशंक भी दिल्ली में ही हैं. वहीं, उत्तराखंड के लिए भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह और मीनाक्षी लेखी भी आज शाम या फिर सोमवार सुबह देहरादून पहुंच सकते हैं.
आखिर क्यों फंस रहा है पेंच?
बता दें कि धामी के खटीमा से चुनाव हारने के बाद उत्तराखंड के अगले मुख्यमंत्री का मामला पेचीदा हो चला है. वहीं, उनके चुनाव हारने के बाद कई नेता मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं. अलग-अलग खेमों में बंटी बीजेपी में सीएम के चेहरे को लेकर एक राय नहीं है.
जबकि मुख्यमंत्री के मुद्दे पर इन खेमों को एक राय करना पार्टी आलाकमान के लिए सबसे बड़ी चुनौती है, जिसमें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी, रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र सिंह रावत, बिशन सिंह चुफाल और विजय बहुगुणा जैसे नाम शामिल हैं, जो कि राजनीतिक समीकरणों को साधने के लिए सत्ता की बागड़ोर अपने किसी करीबी के हाथ रखना चाहते हैं. इसी खेमेबंदी में उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री का चेहरा फंसा हुआ है.
इसी खेमेबंदी के कारण साल 2017 से 2022 तक राज्य में 57 विधायकों के बावजूद बीजेपी को दो मुख्यमंत्रियों को बदलकर पुष्कर सिंह धामी के रूप में तीसरा मुख्यमंत्री बनाना पड़ा था.
इसके अलावा धामी के चेहरे पर 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ा गया, लेकिन उनके खुद चुनाव हारने के बाद पार्टी में खेमेबंदी शुरू हो गई.