विधानसभा चुनाव से पहले विपक्ष कांग्रेस पूरी तरह देवस्थानम बोर्ड बनाए जाने को लेकर भाजपा सरकार पर लगातार दबाव बना रही है. कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत बोर्ड को भंग किए जाने को लेकर भाजपा सरकार को घेरते आ रहे हैं.
कांग्रेस ने इस विरोध को भांपते हुए इस मुद्दे को लपका लिया और सत्ता में आने का बाद बोर्ड भंग करने का दावा किया है. यही नहीं राज्य के कांग्रेसी नेता पिछले कुछ समय से अपनी जनसभाओं में देवस्थानम बोर्ड को भंग करने के लिए लगातार कहते आ रहे हैं. बता दें कि तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने नवंबर 2019 में कैबिनेट बैठक में चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड अधिनियम गठन को मंजूरी दी थी.
10 दिसंबर को विधानसभा के पटल से पारित भी हो गया था और 15 जनवरी, 2020 को राजभवन से गजट नोटिफिकेशन हो गया था. बोर्ड में अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और उपाध्यक्ष धर्मस्व व संस्कृति मंत्री को बनाया गया था. हालांकि तीर्थ पुरोहित ने तब ही इसका विरोध शुरू कर दिया था. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका तक दायर की लेकिन उनके पक्ष में फैसला नहीं आया. बोर्ड के बनने के बाद से ही चारों धामों के तीर्थ पुरोहित और पंडा समाज नाराज हैं. अब पीएम मोदी के कृषि कानून को वापस लेने के बाद तीर्थ पुरोहितों ने भी धामी सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है.