शांत स्वभाव के लिए देश और दुनिया में पहचाने जाने वाला उत्तराखंड की सियासत भी खूब करवटें बदलने लगी हैं. इस साल यहां की सियासत की ‘तपिश’ कई बार दिल्ली आलाकमान के पास भी सुनाई दी.
राज्य में भाजपा और कांग्रेस के नेताओं को नेतृत्व परिवर्तन को लेकर पार्टी हाईकमान के पास देहरादून से दिल्ली तक कई बार दौड़ लगानी पड़ी. भाजपा में चार महीने से भी कम समय में तीन मुख्यमंत्री बदलने से देश के सियासी गलियारे में ‘सुर्खियां’ भी बनी.
इसके साथ भाजपा खेमे में कई बार ‘मनमुटाव’ भी देखने को मिले. साल 2021 में उत्तराखंड की सियासत में खूब ‘उठापटक’ देखने को मिली. खैर, ये सियासत है . अब बात को आगे बढ़ाते हैं. राज्य में भी कुछ महीनों से राजनीतिक दलों का ‘सियासी दांव, शह-मात का खेल आजमाए जा रहे हैं’. विधानसभा चुनाव ने सियासी हलचल को तेज कर दिया है. 2022 में 70 विधान सभा सीटों पर होने वाले चुनाव कई मायनों से अलग है .
साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में दो मुख्य पार्टियां भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला था . लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी भी भाजपा और कांग्रेस से मुकाबला करने के लिए अपने आपको तैयार किए हुए हैं. सबसे खास बात है कि चुनाव के लिए भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने ‘युवाओं’ पर दांव लगाया है.
मिशन 22 के लिए भाजपा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, आम आदमी पार्टी ने अजय कोठियाल और अब कांग्रेस ने भी प्रदेश अध्यक्ष की कमान युवा चेहरे गणेश गोदियाल को दे दी है. तीनों चेहरे देवभूमि में युवाओं के बीच लोकप्रिय माने जाते हैं. धीरे-धीरे उत्तराखंड विधानसभा चुनाव की ‘रंगत’ में आना शुरू हो चुका है.
राज्य में भारतीय जनता पार्टी पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा की रैलियां करवाने जा रही है . हालांकि अभी तारीखों का एलान नहीं हुआ है लेकिन बैठकें-रणनीति बनना शुरू हो चुकी हैं.
लंबे इंतजार के बाद कांग्रेस भी चुनावी मैदान में आ खड़ी हुई है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को चुनाव संचालन कराने की कमान दी गई है. आज या कल में हरीश रावत उत्तराखंड आ रहे हैं.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार