विधायक बनने के लिए दल बदलना आम बात हो गई है. उत्तराखंड चुनाव के माहौल में अब तक 18 नेता ऐसे हैं, जिन्होंने दूसरी पार्टी का दामन थामा और चुनाव का टिकट पा लिया. इन दल बदलू नेताओं को टिकट देने में बीजेपी, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी कोई भी पीछे नहीं रही लेकिन बाज़ी मारी कांग्रेस ने.
बीजेपी के छह नेताओं को कांग्रेस ने टिकट दिया जबकि बीजेपी में ऐसे दलबदलू उम्मीदवारों की संख्या चार है. बीएसपी ने चार और आम आदमी पार्टी ने तीन दलबदलुओं को चुनावी मैदान में उतारा है. एआईएमआईएम ने भी कांग्रेस छोड़कर आए एक नेता को अपना प्रत्याशी बनाया है.
किशोर उपाध्याय: कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे किशोर ने अपनी अनदेखी के चलते बीजेपी का रास्ता दिखाया. कुछ दिन पहले किशोर को कांग्रेस ने अपने सभी पदों से हटा दिया था. गुरुवार को ही किशोर ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामा और बीजेपी ने उन्हें टिहरी सीट से अपना प्रत्याशी बना दिया.
राजपाल सिंह: पिछले चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके राजपाल इस बार बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी ने झबरेड़ा से अपने सिटिंग विधायक देशराज कर्णवाल का टिकट काटकर राजपाल को उम्मीदवार घोषित कर दिया.
दुर्गेश्वर लाल: पुरोला में कांग्रेस के नेता रहे लाल कांग्रेस का टिकट चाहते थे, लेकिन अपने समीकरण न बनते देख बीजेपी में शामिल हो गए. पार्टी में शामिल होने के चंद घंटों के भीतर ही बीजेपी ने उन्हें टिकट दे डाला. लाल का मुकाबला अब कांग्रेस के मालचंद से होगा.
धन सिंह नेगी: टिहरी से बीजेपी के सिटिंग विधायक धनसिंह नेगी को बीजेपी टिकट देने के मूड में नहीं थी, जिसकी भनक नेगी को भी थी इसलिए उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया. कांग्रेस ने उन्हें टिहरी से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया तो यहां अब वह कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष के खिलाफ लड़ेंगे.
ओमगोपाल रावत: पूर्व विधायक रहे रावत बोल्ड नेता माने जाते हैं. 2017 में सुबोध उनियाल के बीजेपी में शामिल होने के बाद ओमगोपाल को नरेंद्र नगर से बीजेपी ने टिकट नहीं दिया था. 2022 में भी उनियाल को ही बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया तो नाराज़ रावत ने कांग्रेस का दामन थाम लिया. कांग्रेस ने उन्हें नरेंद्र नगर से उम्मीदवार भी बना डाला. यहां रावत पूर्व कांग्रेसी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे.
मालचंद : पूर्व विधायक टिकट बीजेपी से मिलता न देख कांग्रेस में शामिल हो गए तो कांग्रेस ने मालचंद को पुरोला से उम्मीदवार भी बना डाला. अब पुरोला में मालचंद का मुकाबला बीजेपी के टिकट पर लड़ रहे दुर्गेश्वर लाल से होगा.
दीपक बिजल्वाण : भाजपा से नाराज़ होकर ज़िला पंचायत अध्यक्ष दीपक को टिकट की संभावना देखकर कांग्रेसी हो गए. कांग्रेस ने उन्हें मायूस न करते हुए यमुनोत्री से अपना उम्मीदवार भी बना डाला.
यशपाल आर्या : 2017 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए यशपाल आर्या सरकार में पांच साल मंत्री रहने के बाद 2022 विधानसभा चुनावों से पहले पलटी मार गए और कांग्रेस में शामिल हो गए. कांग्रेस ने भी यशपाल को उनकी पुरानी सीट बाजपुर से टिकट थमाने में देरी नहीं की.
सरिता आर्या: महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व विधायक सरिता आर्या साल 2017 में कांग्रेस के टिकट पर नैनीताल से चुनाव लड़ी थीं, लेकिन 2022 के चुनाव से ठीक पहले नैनीताल के सिटिंग विधायक संजीव आर्या बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए. सरिता को कांग्रेस से टिकट न मिलना तय था. इन समीकरणों के चलते सरिता बीजेपी में शामिल हो गईं और बीजेपी ने उन्हें नैनीताल से प्रत्याशी घोषित कर दिया.
संजीव आर्या: अपने पिता यशपाल आर्या के साथ साल 2017 में बीजेपी में शामिल हुए संजीव नैनीताल से बीजेपी के विधायक चुने गए थे. यशपाल की घर वापसी के साथ ही वह भी तीन महीने पहले कांग्रेस में शामिल हो गए. ऐसे में संजीव को सिटिंग विधायक देख कांग्रेस ने भी उन्हें नैनीताल से अपना प्रत्याशी बनाने में देर नहीं की.
नारायण पाल: पूर्व विधायक और लंबे समय तक कांग्रेस में रहे पाल ने एक बार फिर बीएसपी में वापसी की. पाल बीएसपी के टिकट पर ही कभी विधायक बने थे. सितारगंज से कांग्रेस ने नवतेजपाल और बीजेपी ने सौरभ बहुगुणा को उम्मीदवार बनाया तो पाल ने कांग्रेस छोड़कर बीएसपी का टिकट पाया.
सुनीता टम्टा बाजवा : 2017 में कांग्रेस के टिकट पर बीजेपी प्रत्याशी यशपाल आर्या के खिलाफ ऊधम सिंह नगर ज़िले की बाजपुर सीट से चुनाव लड़ी सुनीता के पति जगतार सिंह बाजवा कृषि कानून के विरोध में बनी किसानों की संयुक्त किसान संघर्ष समिति के चेहरों में से एक रहे. सुनीता कांग्रेस के टिकट की उम्मीद लगाए बैठी थीं, लेकिन यशपाल आर्या की वापसी के बाद सुनीता आम आदमी पार्टी में शामिल हो गईं और आप ने उन्हें बाजपुर से उम्मीदवार भी बनाया.
अन्य नेता : बाजपुर के बीजेपी नेता और टिकट न मिलने से नाराज़ विजयपाल जाटव बीएसपी में शामिल हुए और उम्मीदवार बने. खटीमा में आम आदमी पार्टी से टिकट की आस टूटी तो रमेश राणा बीएसपी में जाकर चुनाव मैदान में हैं. जसपुर के कांग्रेसी नेता सुनुस खान अब आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी हो गए हैं. जसपुर के ही आम आदमी पार्टी के नेता अजय अग्रवाल ने बीएसपी ने उम्मीदवार के तौर पर किस्मत आज़मा रहे हैं. गदरपुर से बीएसपी नेता जरनैल सिंह काली ने आप के चेहरे के तौर पर ताल ठोकी है और हल्द्वानी से कांग्रेस छोड़ने वाले मुस्लिम नेता मतीन सिद्दीकी को AIMIM ने प्रत्याशी बनाया है.
साभार-न्यूज 18