वाशिंगटन|… अमेरिकी संसद (यूएस कैपिटल) में सात जनवरी (गुरुवार) को जो कुछ हुआ उसने अमेरिका की ऐसी तस्वीर पेश की जिसके लिए उसे जाना नहीं जाता है. दुनिया का सबसे पुराने लोकतंत्र गुरुवार की हिंसा, उत्पात, आगजनी एवं उपद्रव से शर्मसार हो गया.
फसाद करने पर उतारू ट्रंप समर्थकों को शांत करने और दोनों इमारतों को सुरक्षित करने में नेशनल सेक्युरिटी गार्ड को कम से कम चार घंटे का समय लगा. संसद के दोनों सदनों को बंधक बनाने और विद्रोह करने पर उतारू उन्मादित भीड़ ने जो दुनिया के लिए संदेश दिया वह कहीं से भी अमेरिका के हित में नहीं है.
चुनाव हारने के बाद जिस तरह से ट्रंप का रवैया था उससे अंदेशा लग रहा था कि 20 जनवरी से पहले अमेरिका में कुछ बड़ा हो सकता है. ट्रंप के ‘उजड्ड’ समर्थक हिंसा और उत्पात मचा सकते हैं. इस अंदेशा में सड़कों पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गई थी लेकिन हजारों समर्थक संसद भवन पर धावा बोल देंगे, इसका अंदाजा किसी को नहीं था.
ट्रंप समर्थकों ने जो उत्पात मचाया उसे पूरी दुनिया ने देखा है. इस घटना पर खुद रिपब्लिकन पार्टी के नेता शर्मसार हैं. डेमोक्रेट नेताओं ने इसे अमेरिका इतिहास का ‘काला दिन’ बताया है. कुल मिलाकर ह्वाइस हाउस छोड़ते-छोड़ते ट्रंप ने अपनी किरकिरी करा ली है.
साल 2015 में रिपब्लिन पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद के लिए ट्रंप की उम्मीदवारी जब पक्की हुई तभी से उनकी राजनीतिक सोच एवं अगंभीरता को लेकर सवाल उठने लगे. राजनीतिक विश्लेषकों ने शुरू से ही ट्रंप के नेतृत्व पर संदेह जताया. अपने चुनाव प्रचार एवं उसके बाद ट्रंप ने अपने विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाया. ट्रंप में सबको साथ लेकर चलने की सोच का अभाव दिखा. ऐसे कई मौके आए जब उन्होंने नस्लीय एवं संकीर्ण सोच का परिचय दिया. अमेरिका के स्वाभाविक चरित्र के विरूद्ध वह कार्य करते दिखे
इस घटना से यह बात साबित हुई कि जीवंत लोकतंत्र एवं मानवाधिकारों के उत्कर्ष का दंभ भरने वाला अमेरिका अंदर से उतना ही कमजोर और खोखला है जितना कि अन्य देश.
गुरुवार की घटना के पीछे और कोई नहीं बल्कि दुनिया और अमेरिका के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप थे जिनके उन्मादित भाषणों ने उनके समर्थकों को उकसाया और कैपिटल पर धावा बोलने के लिए भड़काया. इस घटना के बाद ट्रंप ने भले ही अफसोस जताते हुए सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण और अमेरिका को फिर से महान बनाने की अपनी बात दोहराई हो लेकिन उनके ‘बड़बोलेपन’ जितना नुकसान करना था कर दिया.
बहरहाल, ट्रंप 20 जनवरी को जो बिडेन को सत्ता सौंपने के लिए तैयार हो गए हैं. इस बीच, राष्ट्रपति पद से उन्हें हटाने के लिए महाभियोग और 25वें संशोधन के इस्तेमाल की मांग ने जोर पकड़ ली है.
हालांकि, अपने वीडियो संदेश में हिंसा के लिए अफसोस जताकर उन्होंने अपने खिलाफ नेताओं एवं जनता के गुस्से को शांत करने का प्रयास किया है.
अमेरिकी संसद यदि ट्रंप के खिलाफ महाभियोग लाती है या 25वें संशोधन का इस्तेमाल किया जाता है तो अमेरिकी इतिहास में इस तरह का यह पहला मामला होगा. खुद ट्रंप ने अपनी विदाई इस तरह से कभी सोची नहीं होगी.