अफगानिस्तान में तालिबान अब और मजबूत हो गया है. अभी तक यह कट्टरपंथी अमेरिका के दबाव में थे. लेकिन मंगलवार की सुबह तालिबानों के चेहरों पर ‘मुस्कान’ बिखेर दी. सोमवार आधी रात 12 बजे बीस सालों से मौजूद अमेरिकी सैनिक वतन वापसी के लिए ‘आखिरी उड़ान’ भर रहे थे तो तालिबान जश्न मना रहा था वहीं अफगानी नागरिकों में ‘मायूसी’ छाई हुई थी.
अभी तक इस मुल्क के लाखों लोग अपनी सुरक्षा के लिए अमेरिका से उम्मीद लगाए हुए थे, लेकिन अब उन्हें इस बात की चिंता सता रही है कि तालिबान के जुल्मों से उन्हें कौन बचाएगा? बता दें कि ‘तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद काबुल एयरपोर्ट पर तैनात अमेरिकी सैनिक अफगानी नागरिकों के साथ महिलाओं और बच्चों की मदद करने में लगे हुए थे’.
यही नहीं सैनिकों ने छोटे-छोटे बच्चों की खूब सहायता की, चाहे खाने-पीने का सामान हो या आर्थिक मदद करने में भी पीछे नहीं रहे, ‘काबुल हवाई अड्डे पर गरीब और बेसहारा बच्चों के साथ खेलते, उन्हें बोतल से पानी पिलाते हुए फोटो विश्व भर में वायरल हुई तो अमेरिकी सैनिकों की जमकर प्रशंसा भी की गई’ . मालूम हो कि पिछले दो दशक से यूएस सैनिक इस मुल्क में तैनात थे.
जिसकी वजह से यहां हर वर्ग के लोगों से उनका लगाव हो गया था. ‘सैनिकों के अमेरिका वापसी पर लाखों लोगों के आंख में आंसू थे’. वहीं तालिबान का खुशी का ठिकाना नहीं रहा और काबुल एयरपोर्ट के पास इन कट्टरपंथियों के लड़ाकों ने बहुत देर तक सड़कों पर जश्न मनाते हुए फायरिंग शुरू कर दी. अब इन कट्टरपंथियों के ऊपर अमेरिकी सैनिकों का जो थोड़ा बहुत दबाव था वह भी अब हट गया है.
इसी के साथ अफगानिस्तान में बीस साल पहले शुरू हुआ अमेरिका का युद्ध भी समाप्त हो गया. पिछले दिनों काबुल एयरपोर्ट पर हुए भीषण बम हमले के बाद 13 अमेरिकी सैनिकों समेत 170 लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ‘सख्त’ लहजे में तालिबान को संदेश दिया था. तब माना जा रहा था कि अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान में कुछ समय और रुक सकते हैं.
लेकिन राष्ट्रपति बाइडेन ने तालिबान नेताओं के साथ हुए समझौते को ध्यान में रखते हुए समय से एक दिन पहले ही अमेरिका ने अफगानिस्तान से वापसी कर ली है. समझौते के तहत अमेरिका को 31 अगस्त तक पूरी तरह अफगानिस्तान को छोड़ देना था.
अमेरिका ने अफगानिस्तान से राजनयिक संबंध भी खत्म किए
बता दें कि तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद यूएस सैनिक अमेरिकी और अफगान नागरिकों को वहां से निकालने के लिए ‘मिशन’ में लगे हुए थे. यह मिशन पूरा होते ही अमेरिकी सेनाओं ने इस देश से विदाई ले ली . इसके अलावा अमेरिका ने अफगानिस्तान में अपनी राजनयिक उपस्थिति को भी खत्म कर दिया और वह ‘कतर’ में शिफ्ट हो गया है.
‘सेना वापसी पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि अब अफगानिस्तान में हमारी 20 साल की सैन्य उपस्थिति समाप्त हो गई है, मैं अपने कमांडरों को अफगानिस्तान में खतरनाक जगहों पर अपनी सेवा के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं’. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि जैसा कि 31 अगस्त काबुल समय की सुबह के समय में निर्धारित किया गया था और इस मिशन में और किसी सैनिक की जान नहीं गई.
दूसरी ओर यूएस सैनिकों के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद ‘अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि अफगानिस्तान से 1,23,000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है, इसमें करीब 6,000 अमेरिकी नागरिक शामिल हैं. अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि हमारे देश के इतिहास में यह सबसे कठिन और बड़ा सैन्य, राजनयिक और मानवीय उपक्रम रहा है’.
दूसरी ओर अमेरिका की वापसी के बाद ‘तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि अमेरिकी सैनिकों ने काबुल हवाई अड्डे को छोड़ दिया है, जिसके बाद हमारे देश को पूर्ण स्वतंत्रता मिल गई है’. यहां हम आपको बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 14 अप्रैल 2021 को एलान किया था कि 11 सितंबर 2021 को 9/11 हमले की 20वीं बरसी तक अफगानिस्तान से अमेरिका और नाटो सेनाएं वापस हो चुकी होंगी. फिलहाल राष्ट्रपति जो बाइडेन के इस फैसले के बाद अफगानिस्तान में तालिबान कट्टरपंथियों को और बढ़ावा मिल गया है.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार