पीएम मोदी ने विश्वविद्यालय को संबोधित करते हुए ‘सेक्युलरिज्मम’ (धर्मनिरपेक्षता ) पर भी विचार रखे. पीएम ने कहा कि हम किस मजहब में पले-बढ़े हैं, इससे बड़ी बात ये है कि कैसे हम देश की आकांक्षाओं से जुड़ें.
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा मतभेदों के नाम पर काफी वक्त जाया हो चुका है, हम कहां और किस परिवार से पैदा हुए, किस मजहब में पले, इससे बड़ा है कि उसकी आकांक्षाएं देश से कैसे जुड़ें. उन्होंने कहा कि वैचारिक मतभेद होते हैं, लेकिन जब बात देश की लक्ष्य प्राप्ति की हो तो सब किनारे रख देना चाहिए.
अब मिलकर नया आत्मनिर्भर भारत बनाना है. पीएम ने कहा कि बहुत से लोग बोलते हैं कि एएमयू कैंपस अपने आप में एक शहर की तरह है. अनेक विभाग, दर्जनों हॉस्टल, हजारों टीचर-छात्रों के बीच एक ‘मिनी इंडिया’ नजर आता है.
‘यहां एक तरफ उर्दू पढ़ाई जाती है, तो हिंदी भी, अरबी पढ़ाई जाती है तो संस्कृत की शिक्षा भी दी जाती है. यहां लाइब्रेरी में कुरान है तो रामायण भी उतनी ही सहेजकर रखी गई है’. हमें इस शक्ति को न भूलना है न कमजोर पड़ने देना है.
पीएम ने कहा कि एएमयू के कैंपस में एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना मजबूत हो, हमें इसके लिए काम करना है. इस दौरान विश्वविद्यालय के छात्रों और प्रोफेसरों ने पीएम मोदी के संबोधन का गर्मजोशी से स्वागत किया.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार