वाशिंगटन| कोरोना संकट से जूझ रहे भारत की मदद करने के लिए अमेरिका सामने आया है. अमेरिका ने रविवार को कहा कि वह कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कच्ची सामग्री की तुरंत आपूर्ति करेगा.
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के कोविड-19 टीके का निर्माण पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (सीआईआई) करता है. कुछ दिनों पहले सीरम ने इन कच्चे समाग्रियों पर लगे प्रतिबंध को अमेरिका से हटाने की अपील की थी. कच्ची सामग्रियों पर अमेरिकी प्रतिबंध के खिलाफ देश में आवाज उठने लगी थी.
भारत को कच्ची सामग्रियां भेजे जाने के बारे में अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) की प्रवक्ता एमिली होर्ने की ओर से एक बयान जारी किया गया है. प्रवक्ता ने पुष्टि की है कि अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन की अपने भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल के साथ बातचीत में वैक्सीन के निर्माण में इस्तेमाल होने वाली कच्ची सामग्रियों के भेजे जाने पर पर सहमति बनी है.
होर्ने ने कहा, ‘भारत में कोरोना मरीजों के उपचार एवं फ्रंट-लाइन स्वास्थ्यकर्मियों की मदद करने के लिए अमेरिका ने थेरापेयुटिक्स, रैपिट डायग्नोस्टिक टेस्ट किस, वेंटीलेटर्स और पीपीई किट की तत्काल आपूर्ति करने की इजाजत दी है.’
बता दें कि सीरम के सीईओ अडार पूनावाल पिछले एक महीने से ज्याता समय से कच्ची सामग्रियों पर लगे प्रतिबंध को अमेरिका से हटाने की मांग करते आए हैं. इसके लिए उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन को कई बार ट्वीट किया.
गत पांच फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति ने वैक्सीन के निर्माण में इस्तेमाल होने वाली इन कच्ची सामग्रियों की अपने देश में उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए डिफेंस प्रोडक्शन एक्ट लागू कर दिया. विदेश मंत्रालय ने भी इस मसले को कई बार उठाया था क्योंकि उसे पता था कि इससे महत्वपूर्ण दवाओं आयात प्रभावित हो सकता है.
राष्ट्रपति जो बिडेन ने कहा कि कोरोना महामारी की शुरुआत में जब हमारे अस्पतालों में दवाओं की कमी बनी हुई थी उस समय भारत ने हमारी मदद की थी. अब जरूरत की समय अमेरिका भारत की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है. इस बीच न्यूयार्क से पांच टन ऑक्सीजन कन्सट्रेटर्स भारत के लिए रवाना हुआ है.
रिपोर्ट के मुताबिक अपने भारतीय समकक्ष डोभाल के साथ बातचीत के दौरान अमेरिकी एनएसए जेक ने भारत के साथ एकजुटता जताई और कहा कि दोनों देश चेचक, पोलियो और एचआईवी से मिलकर लड़ाई लड़ चुके हैं. बयान में कहा गया, ‘महामारी के शुरुआती दिनों में भारत ने अमेरिका को दवाएं भेजकर मदद की. अब जरूरत के समय में अमेरिका भारत की मदद के लिए तैयार है.’