महाराष्ट्र में नारायण राणे का कोंकण क्षेत्र में अच्छा प्रभाव माना जाता है. 10 अप्रैल 1952 को जन्मे राणे का बचपन बहुत ही गरीबी में बीता था. घर परिवार का गुजर-बसर चलाने के लिए उन्होंने पहले चिकन की दुकान भी खोली थी.
लेकिन वे आक्रामक स्वभाव की वजह से युवावस्था में ही ‘नेतागिरी’ में कूद पड़े. साल 1968 में 16 साल में ही वे शिवसेना में शामिल हो गए. कुछ समय बाद ही वे शिवसेना के संस्थापक बाला साहब ठाकरे के करीबी भी हो गए. इसके चलते उन्होंने राणे को चेंबूर में शिवसेना का शाखा प्रमुख बना दिया.
अपने तेजतर्रार बयानों की वजह से जल्द ही शिवसेना के अंदर उनकी लोकप्रियता बहुत तेजी से बढ़ती चली गई. उनके भाषण में बोलने का अंदाज बाल ठाकरे को खूब पसंद आता था. ‘नारायण राणे भी बाला साहब के स्टाइल में बात करने लगे’.
‘साल 1999 में बाल ठाकरे ने उन्हें महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाया, हालांकि वे इस पद पर 9 महीने ही रह सके’. कुछ साल बाद जब बाल ठाकरे ने उद्धव ठाकरे को शिवसेना का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया तब नारायण राणे इसके विरोध में खड़े हो गए.
जिसके बाद उन्हें शिवसेना से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. वर्ष 2005 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली . कुछ साल बाद 2008 में उन्हें अपने आपत्तिजनक बयानों की वजह से ही कांग्रेस से भी उन्हें बाहर निकाल दिया गया.
बाद में नारायण राणे ने अपनी ‘महाराष्ट्र स्वाभिमान पार्टी’ बनाई. इसके बाद अपनी पार्टी का भाजपा में विलय कर वो खुद बीजेपी में शामिल हो गए. बता दें कि उनके पुत्र निलेश राणे मौजूदा समय में महाराष्ट्र से भाजपा के विधायक हैं.