देहरादून| शनिवार को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह उत्तराखंड के दौरे पर पहुंचे हैं. राजधानी देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना लॉंच की. विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र महिला वोटरों को प्रभावित करने की दिशा में इस योजना को महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में पशुपालकों के लिए चारा एक बड़ी समस्या रही है. इस योजना के तहत पशुपालकों को घर पर ही पैकेट बंद चारा उपलब्ध करवाए जाने से लोगों को चारा जुटाने की समस्या से निजात मिल जाएगी. उत्तराखंड में कुल वोटरों में करीब 50 फीसदी महिला वोटर्स हैं.
मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना – हाईलाइट्स
– उत्तराखंड में 70 फीसदी से अधिक आबादी की आजीविका कृषि एवं पशुपालन आधारित.
– एक अध्ययन के अनुसार चारा काटने के लिए महिलाओं को आठ से 10 घण्टे पैदल चलना पड़ता है.
– इस योजना से पहाड़ी क्षेत्र में महिलाओं के सर का बोझ कम होगा.
– पशुओं को पौष्टिक चारा मिलने से दूध उत्पादन 15 से 20 फीसदी बढ़ जाता है.
– योजना के तहत मक्का का साइलेज बनाया जाएगा.
– साइलेज की किट 25 किलो की होगी, 50 रुपए में मिलेगी.
– साइलेज फेडरेशन बनाकर देहरादून की सहकारी समितियों से जुड़े 1000 कृषकों की एक हजार एकड़ भूमि पर 10 हजार मीट्रिक टन हरे मक्का का प्रोडक्शन हो रहा है.
– योजना के तहत राज्य सरकार 50 फीसदी अनुदान देगी.
– साइलेज को घर घर तक पहुंचाने के लिए फर्स्ट फेज में पौड़ी, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा एवं चम्पावत में 50 कॉपरेटिव सोसाइटी के माध्यम से साइलेज विपणन केंद्र खोले गए हैं.
‘घसियारी’ शब्द और योजना पर विपक्ष कर चुका है ऐतराज़
अमित शाह के दौरे से ऐन पहले राज्य सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना पर उत्तराखंड कांग्रेस के नेता ऐतराज़ जता चुके हैं. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कह चुके हैं कि उत्तराखंड की संस्कृति में महिलाओं का सम्मानजनक स्थान रहा है और उनके लिए ‘घसियारी’ शब्द इस्तेमाल करना पूरे उत्तराखंंड का अपमान है. वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल इस योजना को मुफ्त उपलब्ध चारे का भी बाज़ारीकरण करने की साज़िश बता चुके हैं.